भोले का प्रसाद लेकर सपट -भूल हुआ अंग्रेज
महाकाल की नगरी में भांग छान कर लहालोट हुआ अंग्रेज यू टूबर sam

विगत सप्ताह की बात है एक अंग्रेज यूट्यूबर Sam सेमपीपर उज्जैन आए और यहां उन्होंने धार्मिक स्थलों के बारे में यूट्यूब पर कुछ रील बनाने की सोची. जैसे ही वह पटनी बाजार से होकर गुजरे भांग घोटा की दुकान देखी और उन्होंने आगा देखा ना पीछा स्वादिष्ट भांग को दही में छान कर तीन चार गिलास ठोक लिए .
पीते ही वे अलौकिक संसार में विचरण करने लगे. दो तीन घंटे तो बहुत मजा आया. बाद मे तबीयत ऐसी बिगड़ी कि उन्हें हॉस्पिटल में भरती होना पड़ा. अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वे सर पर हाथ रखकर देशी अंदाज में विलाप करते दिखाई दे रहे हैं और आयं बाय बक रहे हैं. लग रहा था एक भारतीय आत्मा उनमे घुस गई है.
डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनको फूड प्वाइजनिंग हो गया है. इलाज हुआ वे ठीक हो कर रवाना हो गए.बाद में इस सारी जानकारी को , अपने कृत्य के पछतावे को खुद उन्होंने यूट्यूब पर डाला और बताया कि भारत का स्ट्रीट फूड कितना घातक है,हाइजीनिक नहीं है. उन्होंने यह नहीं बताया कि स्वाद के मारे उन्होंने भाँग के कितने गिलास गटके थे .
भोले की प्रसाद भांग घोटा पीकर न केवल विदेशी बल्कि कई देसी लोग भी कई बार बहक जाते हैं. महाकाल की नगरी में कई भांग घोटा की दुकान है ,हर क्षेत्र में मिल जाएगी. एक से बढ़कर एक अलौकिक अनुभव करवाने वाले भांग के विक्रेता भांग के अलावा नशा बढ़ाने के लिए उसमे क्या-क्या मिलते हैं इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है.
बताया जाता है कि भांग और धतूरे का संगम भी इसी गिलास में होता है. इसी संगम का शिकार होकर बेचारा अंग्रेज लहा -लोट हो गया . सपट -भूल हो खुद की पहचान भूल गया कि वो अंग्रेज है कि नाइजीरियन और किस प्लेनेट से आया है.
भांग के नशे के बारे में वह कभी न कभी यूट्यूब पर कुछ डालेगा ही.फिलहाल तो अपनी बीमारी का मातम मनाता नजर आ रहा है. भांग के नशे के साथ बीमारी ने कुछ ऐसा असर दिखाया कि रो-रो कर उसे लग रहा था कि अब तो वह इस दुनिया से ही उठ गया है.जरा सी बीमारी में सर्वशक्तिमान रहे किसी देश के नागरिक का इतना विलाप करना भी हास्यास्पद है.
फ़ूडपोइज़निंग का इलाज तो हमारे यहॉं चुटकी में होता है . ख़राब खाने से दो तीन सौ से कम बीमार पड़ने से कम का रिकॉर्ड नही रहा हैं. अंग्रेज खामखा हल्ला कर रहा था, सील बट्टे और दूध के किटाणु रहित न होने को दोष दे रहा हैं .हमारे यहां तो हर खाने में पॉइजन मिला हुआ है,तो काहे की फूड प्राइजनिंग . इसके प्रति हमारा रेजिस्टेंस भी अनूठा है ,दुनिया ने कोरोना में देख ही लिया.कोरोना ने उन्ही लोगों को सताया जो सुविधा भोगी रहे थे. कामगारों और पसीना बहाने वालों का कुछ ज्यादा बिगाड़ नहीं पाया.
अंग्रेज यू -ट्यूबर उज्जैन के भाँग प्रेमीयों की दो की बांध दे, दो की छान दे की संस्कृति का शिकार हुआ है. वह आगे से हिंदुस्तान के किसी भी शहर में किसी भी ठंडे पेय को हाथ लगाने से चमकेगा.
यह भी हो सकता है भांग के नशे का जो आनंद है या असर है अंग्रेज को बाद में पीछे से हिट करे और वह बाद में कहीं कहे कि वाह क्या मजा आया. मैं तो स्वर्ग में होकर ही आया हूं.यह भी संभव है की सेमपीपर आने वाले समय में उज्जैन की भांग का ब्रांड एंबेसडर ही बन जाये.
भगवा धारण कर ले या फिर भगवान शिव की वेशभूषा में त्रिशूल लेकर शिव - शिव करता यूरोप में घूमे. कुछ भी हो महाकाल बाबा के प्रसाद ने अपना असर दिखा ही दिया. हमारे आबकारी विभाग की बला से की भाँग में क्या-क्या मिलाकर भाई लोग परोस रहे हैं. आप जानो और भांग के पीने वाले जाने.
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