भारत भाषा, जाति,क्षेत्र के हिसाब से एक हो ना हो लेकिन म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के काम करने के तरीकों में एक रुपता देखने को मिलेगी
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में हुई कोचिंग सेंटर की घटना ने तीन होनहार छात्रों की जान ले ली.यह जान किसी प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं गई बल्कि मानव निर्मित त्रासदी और सिस्टम में भ्रष्टाचार के कारण हुई है.

भारत भाषा, जाति,क्षेत्र के हिसाब से एक हो ना हो लेकिन म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के काम करने के तरीकों में एक रुपता देखने को मिलेगी. म्युनिसिपल बॉडी ही वह चीज है जहां से नए-नए उभर रहे नेता भ्रष्टाचार पाठ सीखते हैं.
साथ ही जिस तरह से आई ए एस के पद की गरिमा का प्रचार दिल्ली के कोचिंग सेंटर्स द्वारा सोशल मिडिया पर किया गया उसके कारण हजारों छात्र दिल्ली पंहुच रहे है .
हिंदुस्तान के अन्य शहरों की तरह दिल्ली में भी बारिश का पानी ड्रेन करने के लिए नालियां बनी हुई है. इन नालियों पर हमारे स्वार्थी मानव ने कब्जा कर लिया है उनको पाट दिया है.पानी की निकासी को रोक दी.
देश के लगभग सभी नगरों में सड़कों पर अच्छा खासा तालाब थोड़े सी बारिश से भर जाता है. यह सब शहरों में देखा गया है. हमारा उज्जैन शहर भी अलग नहीं है.
थोड़ी बारिश मे में चामुंडा चौराहा, देवास गेट, शहर की घनी व निचली बस्तियों की यही कहानी है. जहां पर एक या दो इंच बारिश में शहर जलमग्न हो जाता है. लोगों के घर में पानी घुसता है.
दिल्ली में तो बेसमेंट में रास्ता नही मिलने पर बारिश के पानी ने जोर मारा और कांच का दरवाजा तोड़कर बेसमेंट में घुस गया.
पढ़ाई कर रहे,अपने भविष्य के सपने देख रहे बच्चों को मौका भी नहीं दिया कि भाग कर अपनी जान बचा सके. दरवाजे मे बायोमेट्रिक सिस्टम लगा था. बिजली गई सिस्टम फेल हुआ और बच्चे मौत के मुंह में समा गए.
हमेशा की तरह मीडिया,एमसीडी ,नेता सामने आए मौत का स्यापा करने लगे. आरोप प्रत्यारोप व जाँच का खेल शुरु हो गया. कोचिंग सेंटर सील कर दिया.सब अपनी-अपनी सफाई देने लगे.
दिल्ली,बेंगलुरु,कोलकाता,मुंबई सभी जगह के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन अपने शहरों की नदियां खा गए, तालाब पाट कर कॉलोनी खड़ी करवा दी. बरसात में जिस तरह का तांडव मुंबई की सड़कों पर देखा जाता है इसका उदाहरण दूसरी जगह शायद कहीं मिले.
इस बार दिल्ली में भी इस तरह हुआ. सुप्रीम कोर्ट परिसर और अन्य प्रमुख स्थानों में बारिश का पानी घुसा.यह एक उदाहरण है म्युनिसिपल कारपोरेशन के कार्यकलापों का.
इस देश में बरसो अंग्रेज राज करके गए, नगरीय प्रशासन उनकी देन
अंग्रेजों ने कई तरह के प्रशासनिक सुधार किये. इनमें से लॉर्ड रिपन द्वारा 1882 में लोकल सेल्फ गवर्नमेंट स्थापित करना भी था.
नेता, ठेकेदार औऱ भृष्ट अधिकारीयों का गठजोड़ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट को खा गया
सरकार का क्या रोल
राज्य सरकारें स्थानीय रेगुलेशन के मामले में पड़ना नहीं चाहती.कभी ऐसे हादसे होते हैं तो एक जाँच अभियान चला कर या एक बयान जारी कर इतिश्री कर लेती है.
जैसे दिल्ली के उपराज्यापल ने कह दिया की स्थानीय सरकार ठीक से काम नही कर रही है.
बारिश के पहले दिल्ली सहित पूरे देश के शहरों में बारिश के पानी निकासी कैसे होगी इस पर ईमानदारी से लम्बा विचार हो. भवनो की आवश्यक जाँच हो. सबसे बड़ी बात शहरी नदियों,नाले व नाली के अवैध कब्जे को हर साल बिना भेदभाव के बारिश के पहले हटाया जाये तो निरापराध लोग मरेंगे नही.
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