तक धिन धमचिक धमचिक नाटक का मंचन
कहानी पुरानी , प्रस्तुति नई

कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्य ग्रह में गत दिवस परिष्कृति व कला चौपाल द्वारा आयोजित नाट्य समारोह में तक धिना धिन धमचिक धमचिक नाटक जो प्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश दवे ने लिखा है की प्रस्तुति दी गई. नाटक के निर्देशक थे विशाल सिंह कुशवाहा .नाटक की कहानी विषय वस्तु पुरानी है लेकिन इसकी नए तरीके से प्रस्तुति ने लोगों को काफी गुदगुदाया .
इस नाटक में अपने चाचा से झूठ बोलकर पैसा ऐठने वाले भतीजे की कहानी बताई गई है जो पैसे के लालच में चाचा को यह भी बता देता है कि उसने शादी कर ली और उसके बच्चे हैं .
उसका खर्च चलाने के लिए उसे निरंतर पैसे की आवश्यकता है. यहां तक तो ठीक था लेकिन अचानक चाचा अपने पोते को देखने की इच्छा जाहिर करते हुए नाटक के नायक के घर आने की घोषणा कर देते हैं .
यहीं से बस घटनाक्रम में एक के बाद उलझता है और हर उलझन में एक हास्य उत्पन्न होता है. किराए की पत्नी ढूंढी जाती है ,बच्चे ढूंढे जाते हैं और इस ढूंढने के क्रम में नायक के मित्रों के सहयोग से एक नहीं तीन-तीन पत्नियों इकट्ठी हो जाती है .गनीमत है बच्चा एक ही रहता है.
नाटक में घटनाक्रम ऐसे भी पिरोये गए हैं कि हर बात पर हास्य पैदा होता है और दर्शकों को नाटक अंत तक बांधे रखता है .अंत में जब पता लगता है कि तीनों ही पत्नीयां काल्पनिक है तो उम्रदराज चाचा की इच्छा बलवती होती है वे ही विवाह की इच्छा जाहिर कर देते है .
मंच की परिकल्पना अनंत वर्मा की रही है . अभिनय के मामले में मुख्य किरदार सुक्खी का कैरेक्टर अनंत वर्मा ने अपने लंबे अभिनय अनुभव का परिचय देते हुए अच्छे से किया है .उनके चेहरे के भाव बार-बार बदल रहे थे जो दर्शकों को बांधे रखे हुए थे .
चाचा जी के रूप में वीरेंद्र नाथनियाल ने भी अपने सही बहुत अच्छा अभिनय किया है .शेष लोगों में बंटी के किरदार में नवतेज सिंह सिंह ठाकुर भी जमे है . महिला कलाकारों ने चंदा के रूप में प्रतिभा मसीह ने लोगों को प्रभावित किया . नौकर बने देवेन्द्र दुबे को कम मोका मिला फिर भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है ,कुशाग्र ठाकुर , अक्षिता राठोर , वैष्णवी सोलंकी व कोमल खत्री ने भी अच्छा अभिनय किया ,मंच सज्जा और वस्त्र विन्यास में जरूर कुछ कमी रही . प्रोडक्शन की अपनी सीमाएं रही होगी.
सुखद विषय है कि नाट्य कला और नाटक के प्रदर्शन से उज्जैन के नाटक प्रेमियों ने स्वयं को जोड़ रखा है .धीरे-धीरे थिएटर में दर्शकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. खासकर नए युवाओ लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता रेखांकित करने योग्य है. उज्जैन में कालिदास अकादमी में होने वाले इस तरह के नाट्य समारोह निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं
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