बलात्कार और यौन हिंसा रोकने के लिए पोर्न वेबसाइट ब्लाक हो , संसद शीघ्र कानून बनाये
जब से एंड्रॉयड फोन किशोरों के हाथ में आया है उनके लिए पॉर्न वीडियो का एक्सेस एक क्लिक पर हो गया है. एंड्रॉयड फोन की लोकप्रियता और इंटरनेट के व्यापार में पोर्न सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है .

निर्भया से लेकर पश्चिम बंगाल की डॉक्टर और बदलापुर महाराष्ट्र के बच्चों के साथ हुए यौन अपराध के मामले में एक ही बात उभर कर सामने आई है . अपराधी पॉर्न वीडियो देख-देख कर मानसिक विकृति का शिकार हो गए थे और इस तरह के अपराध करने को प्रेरित हुए हुए.
जब से एंड्रॉयड फोन किशोरों के हाथ में आया है उनके लिए पॉर्न वीडियो का एक्सेस एक क्लिक पर हो गया है. एंड्रॉयड फोन की लोकप्रियता और इंटरनेट के व्यापार में पोर्न सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है .
घंटों लोग एंड्रॉयड फोन पर इस तरह की मानसिक विकृति वाली ब्लू फिल्में, पोर्न फिल्में देख कर मनोविकार से ग्रस्त हो रहे हैं. इस तरह के वीडियो देखने वाले लोग ना तो रिश्तों की अहमियत समझते हैं ना ही महिलाओं के प्रति आदर भाव रखते हैं.
इसी के चलते भारतीय समाज में यौन हिंसा और अपराध के प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं .समाज विज्ञानी और मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इस तरह की वीडियो फ़िल्मो की इंटरनेट पर उपलब्धता को प्रतिबंधित की जाए.
सरकार की क्या मजबूरी है
यह नहीं है कि सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है. कई बार कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं .लेकिन इंटरनेट की दुनिया इतनी ग्लोबल है कि वह प्रतिबंध को स्वीकार नहीं करती .
नए-नए तरीके इजाद कर उपभोक्ताओं को इस तरह की वेबसाइट परोस रही है. भारत में पोर्नोग्राफी देखना दिखाना आदि प्रतिबंधित है और उनके लिए विभिन्न तरह के एक्ट भी हैं लेकिन वह इतने कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं
व्यापार और व्यापारियों का दबाव
स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में कर और करारोपण की नीतियों के ऊपर व्यापारियों का बहुत ज्यादा प्रभाव रहा है .बड़े-बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट अपने हिसाब से नीतियां और कानून बनवाते रहे हैं .
यही सब आज भी हो रहा है .अब चूँकि ग्लोबल लीडर और बिजनेसमैन भारत में आ गए हैं तो उनकी ताकत और उनके धन के बल पर वह अपने हिसाब से कानून का निर्माण करवाते हैं. या कानून बनाने से सरकारों को रोकते हैं .
अब देश का समाज ही नष्ट होने के कगार पर है तो इन सब फेक्टर का सामना करते हुए एक ऐसे कारगर कानून की आवश्यकता है. जिससे इस तरह की नीली फिल्में या वीडियो आम आदमी और किशोर तक नहीं पहुंचे.
सरकार ने अब तक क्या-क्या किया
भारत सरकार ने अब तक पोर्नोग्राफी की वेबसाइट पर रोक लगाने की कई प्रयास किए हैं .इनमें वर्ष 2015 में 857 पोर्न वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया , 2018 में 3700 से अधिक हम वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया ,2019 में पोर्न वेबसाइट पर रोक लगाने के लिए कमेटी का गठन किया.
2020 में पोर्न वेबसाइट को ब्लॉक करने के लिए नया नियम जारी किया इसमें आईएसपी को को ब्लॉक करने का आदेश दिया .वर्ष 2022 में भारत सरकार ने पोर्न वेबसाइट पर रोक लगाने के लिए एक नया कानून प्रस्तावित किया है .
अभी कानून बनना बाकी है ,संसद शीघ्र कानून बनाये
वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 ,भारतीय दंड संहिता 1860 यौन अपराधों के बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 और केवल नेट टेलीविजन नेटवर्क नियम अधिनियम 1995 यही कानून है जो पूर्ण वेबसाइट पर रोक लगाने के लिए हथियार है लेकिन कारगर नहीं है.
लॉ मेकर से 2022 के नए प्रस्तावित कानून को शीघ्र अमलीजामा पहनाने की उम्मीद की जानी चाहिए .जिससे पोर्न वेबसाइट पूर्ण रूप से ब्लॉक हो जाए और ऐसे काम करने वालों को दंड दिया जा सके .तभी भारतीय समाज में युवा लोग मानसिक विकृति का शिकार होने से बचेंगे.
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