ट्रंप ,ट्रूडो और भारतीय शेयर बाजार
मार्केट के धुरंधर कहते हैं ट्रंप नहीं जीतते तो शेयर मार्केट में 10 प्रतिशत की और गिरावट आ सकती थी अब संभल सकता है .हालाँकि ट्रम्प भी एक साल में एक करोड़ विदेशियों को निकालेंगे इसमें कितने भारतीय होंगे पता नही .
भारतीय शेयर बाजार में अफरातफरी मची है .लगातार गिरावट हो रही है .नए निवेशको ने इस तरह की गिरावट पिछले कई सालों में नहीं देखी .बिना पानी की खेती शेयर मार्केट में 2014 से लहलहा रही थी. अब अचानक सामने सूखा नजर आ रहा है.
जानकार कहते हैं कि जब अमेरिका को छींक आती है तो हमारे यहां शेयर मार्केट को बुखार चढ़ जाता है .अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे थे कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे का मुकाबला था . आज 6 नवम्बर को परिणाम आये ट्रम्प जीत गए .मार्केट के धुरंधर कहते हैं ट्रंप नहीं जीतते तो शेयर मार्केट में 10 प्रतिशत की और गिरावट आ सकती थी अब संभल सकता है .हालाँकि ट्रम्प भी एक साल में एक करोड़ विदेशियों को निकालेंगे ,इसमें कितने भारतीय होंगे पता नही .
दूसरी और अमेरिका से सटे हुए कनाडा में वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो लगातार भारत विरोधी गतिविधियों को समर्थन दे रहे हैं .वहां भी निकट भविष्य में चुनाव होना है और भारतीय लोग ट्रूडो की हार की कामना कर रहे हैं .ट्रूडो यदि फिर से जीत जाते हैं तो भारत कनाडा के संबंध और ख़राब हो जाएंगे .हजारों छात्र और प्रवासी भारतीय अपने उज्जवल भविष्य की कामना लेकर कनाडा की ओर जाते हैं , पढ़ लिख कर वंही नोकरी करते है विदेशी मुद्रा भेजते है . हमारी अर्थव्यवस्था में मदद होती है . दोनों देशों में राजनीतिक संबंध सबसे बुरी स्थिति में पहुंच गए हैं. रही सही कसर वहां के खालिस्तानी समर्थक सिखों ने पूरी कर दी है . कनाडा के हिंदू मंदिर में जाकर हिंदुओं की पिटाई के दृश्य लोगों ने टीवी पर देखें . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर मंदिर पर हुए हमले की आलोचना की है जो कि एक असाधारण बात है.
2014 के बाद हुई भारत की प्रगति को अतिशय प्रचार ने ठीक उसी तरह चमकाया जिस तरह से इंडिया शाइनिंग चमका था . समग्र विकास में गिरावट ,बेरोजगारी और आय के असमान बंटवारे की तरफ ध्यान न देकर भारतीय शेयर बाजार ने छलांगे लगाई और सेंसेक्स 50 हजार से 85 हजार तक पहुंच गया. शेयर मार्केट में भारतीय मध्य वर्ग का तीस से पैतीस लाख करोड़ रूपया म्युचुअल फंड के माध्यम से लगा है .फटाफट धन कमाने का यह तरीका लोगों को पसंद आया और अपनी सारी बचत लोगों ने शेयर मार्केट में उड़ेल दी . इसलिए पिछले 10 -11 वर्षों से चल रहा बुलमार्केट अब बियर मार्केट में तब्दील होने की आशंका का डर लोगों को सता रहा है. वैश्विक घटनाओं जिनमे रूस -यूक्रेन युद्ध ,ईरान -इजरायल - फिलिस्तीन संघर्ष आदि सभी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पडने से कोई रोक नहीं सकता.
जो लोग शेयर मार्केट की एबीसीडी नहीं जानते वे भी चौराहे पर शेयर की बात करते मिल जाएंगे .हमेशा की तरह पिछले कई दशकों में छले गए इन्वेस्टर फिर उसी दोराहे पर खड़े नजर आ रहे हैं. रियल एस्टेट ,शेयर मार्केट ,सोना ,चांदी आदि आसमान छू रहे हैं . जिसने भी आसमां छुआ वह नीचे भी आता है यह नियम भूलना नहीं चाहिए . इन्वेस्टर्स को सतर्कता के साथ अपनी पूंजी कहीं लगाना चाहिए.
What's Your Reaction?