दूध में  मिलावट का धंधा बदस्तूर जारी है ,आम आदमी की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है

उज्जैन जैसे सात लाख से अधिक  आबादी के शहर में यदि प्रति व्यक्ति 300 एम एल  दूध की प्रतिव्यक्ति खपत  प्रत्येक दिन की मानी जाये तो शहर  प्रतिदिन दो लाख लीटर लीटर दूध की खपत होती है

Oct 9, 2024 - 01:07
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दूध में  मिलावट का धंधा बदस्तूर जारी है  ,आम आदमी की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है

 दूध को कंप्लीट फूड कहा जाता है इसमें प्रोटीन ,वसा मिनरल्स व विटामिन  मौजूद होते हैं .जो शरीर को पूर्ण पोषण  प्रदान करते हैं. दूध में  मिलावट बरसों से होती आ रही है .लेकिन तब पानी की मिलावट हुआ करती थी .अब नकली दूध बनाकर असली के साथ मिलकर  बाजार में आ रहा है .जिसकी पहचान करना बड़े-बड़े जानकारी के बस का नहीं है, आम उपभोक्ता कैसे पहचाने.

 उज्जैन जैसे सात लाख से अधिक  आबादी के शहर में यदि प्रति व्यक्ति 300 एम एल  दूध की प्रतिव्यक्ति खपत  प्रत्येक दिन की मानी जाये तो शहर  प्रतिदिन दो लाख लीटर लीटर दूध की खपत होती है .इसमें औसत पचास हजार लीटर  दूध की आपूर्ति कोऑपरेटिव डेरी और अमूल मिलकर पैकेट में करते है . बाकि का डेढ़ लाख लीटर दूध की बिक्री दुकानों व  घर-घर जाकर दूध बांटने वाले दूधियों  के द्वारा खुले दूध के रूप में की जाती है .खुले दूध में मिलावट के अवसर ज्यादा है.

      वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र का अध्ययन करें तो पता लगेगा लोगों ने गाय भैस पालना  बंद कर दी है . जिले में पशु संख्या कम  लेकिन दूध की ज्यादा मात्रा बाजार में आ रही है. न केवल बाजार में खुला दूध  आ रहा  है बल्कि दुग्ध संघ और प्रायवेट डेरी सयंत्र गावों से  लाखों लीटर दूध कलेक्शन करते  है .यह विचारणीय है  कि जब पशुधन का कम है तो दूध की मात्रा कैसे बढ़ रही है.पशुचिकित्सा विभाग को दुधारू पशुओं की गणना कर यह पता लगाना चाहिए की वास्तविकता क्या है .

    जानकार लोग कहते हैं कि दूध में नकली दूध की मिलावट करने का काम अब ग्रामीण क्षेत्र में भी होने लगा है 5 लीटर दूध को 10 लीटर में कैसे कन्वर्ट किया जाए इसकी तकनीक लोग सीख गए हैं . मिलावटी दूध बनाने में यूरिया ,पाम  तेल और डिटर्जेंट आदि का उपयोग करके  दूध की नकल तैयार की जाती है. इसको असली दूध में  में मिलाने पर  पहचान करना कठिन होता है कि यह मिलावटी  दूध है. 

    उपभोक्ता  दूध का उपयोग सेहत  के लिए कर रहा है जो की उसका स्वास्थ्य ठीक करने की जगह  बिगाड़ रहा है .आए दिन होने वाले  स्नायु रोग ,कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां इसी तरह के मिलावट का नतीजा है .

  आम आदमी दूध की पहचान कैसे करें

   दूध में आमतौर पर सॉल्युबल फैट व ठोस पदार्थ होते  है उसकी एक निश्चित मात्रा होती है .फुल क्रीम मिल्क में 6% फैट होता है व 9% एसएनएफ होता है . जो दूध डेरी में बिकता है उसमें कोऑपरेटिव डेरी 5% फेट रखती है. इन दोनों की जांच लैक्टोमीटर और गर्बर मेथड से (गर्बर किसी भी दूध की बड़ी दुकान पर होता है ) से  की जा सकती है .लेकिन दूध में यूरिया या डिटर्जेंट मिला है इसके लिए  घरेलू जांच सुलभ नही  है ,यह लैब में ही जांचा जा सकता है .

 

साँची और अमूल मिलावट से बचे हुए है

 

    कोऑपरेटिव डेयरी के सांची और अमूल के दूध में मिलावट होने के चांसेस नही है इसलिए यदि हम उपभोक्ता साइकिल वाले दूध से दूध देने के बजाय साँची और अमूल का लेना शुरू करें तो मिलावट से कुछ हद तक बच सकेंगे . कोऑपरेटिव डेयरी और अमूल को इस मामले में अभियान चलाकर  हर मोहल्ले में एक छोटी लैब स्थापित करना चाहिए जहां पर लोग अपने दूध के सैंपल को ले जाकर जांच करवा सके .सशुल्क यह  सुविधा दी जाना चाहिए .दूध के नाम पर हो रही  मिलावट  के  खिलवाड़ को रोकने के लिए उपाय करने का काम सरकार का है . सरकार को इस दिशा में निश्चित रूप से ठोस कदम बढ़ाना चाहिए .न केवल दूध बल्कि अन्य और खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग की जांच भी निशुल्क यदि आम जनता के लिए की जाएगी तो जनता का बहुत भला होगा.

 

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com