बारिश का पानी जमीन में उतारने के लिए प्रदेश में 15000 बोर किए जाएंगे.
वर्ष 2001- 2002 की बात है तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण का अभियान सूखे के कारण छेड़ा था.गांव-गांव में सूखा राहत में छोटे-छोटे तालाब बनाए गए. राजीव गांधी वाटरशेड मिशन के तहत विभिन्न बंजर पहाड़ी क्षेत्रों में पानी रोकने की संरचनाओं का निर्माण किया गया.

हम भारतीयों की आदत हैं जब आग लगती है तभी उसको बुझाने दौड़ते हैं. वरना निश्चिंत होकर बैठे रहते हैं. वर्ष 2001- 2002 की बात है तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण का अभियान सूखे के कारण छेड़ा था.गांव-गांव में सूखा राहत में छोटे-छोटे तालाब बनाए गए. राजीव गांधी वाटरशेड मिशन के तहत विभिन्न बंजर पहाड़ी क्षेत्रों में पानी रोकने की संरचनाओं का निर्माण किया गया. कुल मिलाकर प्रदेश भर में एक अच्छा वातावरण बना था. ग्राम पंचायत में स्थान- स्थान पर छोटे-छोटे नालों पर आरएमएस , एनीकट ,गेबियन बनाए गए.
उज्जैन जिले में बने सैकड़ो आरएमएस पानी रोकने का एक अच्छा साधन बन कर उभरे थे.इसी तरह छोटे-छोटे स्टाप डेम बनाए गए. बारिश के बहते पानी को रोकने के लिए सीमेंट की खाली बोरियों से बोरी बंधान बनाये गए.मिट्टी के बांध बनाकर सिंचाई के लिए पानी रोका गया.
उज्जैन जिले के हर विकास खंड में एक से लेकर 2 - 3 तक परियोजनाओं में राजीव गांधी वाटरशेड मिशन के तहत कार्यक्रम हाथ में लिए गए. नरवर, बालोदा लखा, गुनाई आदि गाँवो मे अच्छा काम हुआ. गाँवो में नलकूपों और कुवों को रिचार्ज करने के साधन विकसित किए गए. यहां तक की सोकपिट बनाने का भी बड़ा अभियान हाथ में लिया गया. हर तहसील और गांव स्तर पर जल सम्मेलन आयोजित होने लगे.लोगों में पानी के प्रति जागरूकता आ गई थी.
यही नहीं बरसात के पानी को रोकने के लिए खेतों में छोटे-छोटे तालाब,डबरी व खेत तालाब का निर्माण होने लगा. उज्जैन जिले के पड़ोस में देवास जिला है जहां पर कई किसानों ने अपने खेतों में बड़े-बड़े तालाब बना दिए और भी उससे आज भी सिंचाई कर रहे हैं.
जिस तरह से सरकारी कामों का हश्र होता है कुछ वैसा ही वाटरशेड मिशन का भी होने लगा.पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र में डबरी जैसे कांड होने लगे और उसके कारण पूरे अभियान को जो आगे लंबा चलता पलीता लग गया.
वर्ष 2003 आते-आते भ्रष्टाचार के इतने बड़े मुद्दे बने की 2004 में बनी नई सरकारों और मंत्रियों ने इस काम से हाथ खींच लिए. जल संरक्षण के लिए बना अच्छा खासा वातावरण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.इंद्रदेव भी 2004 के बाद लगातार उज्जैन जिले में अच्छी बारिश कर रहे हैं इस कारण से लोगों का ध्यान जल संरक्षण से हट गया.यह नहीं है कि अच्छी बारिश होने के कारण उज्जैन जिले का भू -जल स्तर बढ़ गया हो. लेकिन लोग अब भूल गए की उन्हें जल संरक्षण का भी काम करना चाहिए.
अब 15000 बोर करके कितना पानी जमीन में उतरेगा यह तो वक्त ही बतायेगा.लेकिन यदि खुली जमीन में ज्यादा से ज्यादा तालाब बना कर बहते पानी को रोककर उसका परकोलेशन किया जाये तो उसके नतीजे अच्छे आएंगे.
...
What's Your Reaction?






