वर्तमान  आर्थिक  युग  में  प्राण  से  बढ़कर  है  प्रॉफिट  , हरदा में विस्फोटक कानूनों  का पालन क्यों नही  हुआ  Firecracker factory explosion in Harda Mp

हरदा फटाका फैक्ट्री विस्फोट के बाद यह चिंता का विषय है कि हम ऐसे क्यों हैं, हमारी व्यवस्था ऐसी क्यों है कि हमें बार-बार इस तरह के हादसों से रूबरू होना पड़ता है.

Feb 9, 2024 - 17:01
Mar 3, 2024 - 11:59
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वर्तमान  आर्थिक  युग  में  प्राण  से  बढ़कर  है  प्रॉफिट  , हरदा में विस्फोटक कानूनों  का पालन क्यों नही  हुआ   Firecracker factory explosion in Harda  Mp

               हरदा फटाका फैक्ट्री विस्फोट       Firecracker factory explosion in Harda  Mp                के बाद यह चिंता का विषय है कि हम ऐसे क्यों हैं, हमारी व्यवस्था ऐसी क्यों है कि हमें बार-बार इस तरह के हादसों से रूबरू होना पड़ता है.इंसान की जान की कीमत हमारे यहां उसके रुतबे से क्यों आंकी  जाती है . यदि  इसी  फटाका  फैक्ट्री में हुए विस्फोट से कोई संभ्रांत या एलीट क्लास के लोग मारे जाते तो मीडिया के साथ-साथ शासन -प्रशासन भी इसको अलग तरह से लेता. स्वयं संज्ञान लेकर कई लोग इस मामले में कूद जाते  न केवल व्यवस्थापिका बल्कि अन्य  भी । 

  देश की जनसंख्या 140 करोड़ है. व्यवस्था का सच यह है कि हम  इतने लोगों का  बोझ  सम्भाल नही  पा रहे  है . सोच बन  गया  है कि इस तरह की घटनाएं तो होती रहेगी .क्या हमें व्यापार व्यवसाय नहीं चलाना  चाहिए ,क्या औद्योगिक इकाइयां नहीं लगना चाहिए. इस तरह के  हादसे तो होते रहते हैं और होते रहेंगे. इससे हमारी प्रगति नहीं रुकना चाहिए। 

   हरदा  से मिलता जुलता एक हादसा हमारे  मध्यप्रदेश  में  झाबुआ जिले के पेटलावद में भी हुआ था जहां अवैध  रूप  से  भंडारित डेटोनेटर में  बीच बस्ती में हुए विस्फोट  के कारण कई लोग मारे गए थे ।  जांच आयोग बैठा हुई जाँच हुई  लेकिन अंत में सब रफा -दफा , बरी हो गए। 

    भोपाल के गैस हादसे में यूनियन कार्बाइड  द्वारा की गई लापरवाही से तो हजारों लोग मारे गए थे पर  क्या ऐसे हादसों से सबक लेकर हमने अपनी रेगुलेटरी व्यवस्थाओं में सुधार किया या फैक्ट्री मालिकों को उन सभी नियम धर्म  को पालन करने के लिए पाबंद  किया है जो कि किसी  व्यक्ति की जान माल की रक्षा के लिए आवश्यक होते हैं ।

   हमारे  प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रदूषण निवारण मंडल के नाम से एजेंसी काम करती है जो फैक्ट्री द्वारा फैलाये  जा रहे हैं ध्वनि ,वायु और जल प्रदूषण को रोकने के लिए जिम्मेदार होती है .लेकिन सभी एजेंसी और  पुलिस, प्रशासन ,राजस्व आदि के होने के बावजूद  बीच शहरों में कितने ही ऐसे खतरनाक किस्म के  व्यवसाय चल रहे हैं जो  जहरीला  धुंवा छोड़ रहे  है . नियम अनुसार ये  उद्योग  एक दिन भी नहीं चल सकते। प्रश्न यह है कि इस तरह के हादसे  क्या एक दिन की जांच  या अभियान  से रुक जाएंगे. या किसी एक व्यक्ति को ,एक फैक्ट्री को कड़ी सजा मिल जाए तो  दूसरे लोग  इस तरह का काम करना बंद कर देंगे ,  कतई नहीं।

    शासन प्रशासन के रहते बसों   की ओवरलोडिंग कम हुई है क्या ? अभी हाल ही में गुना में हुए हादसे ने मध्य प्रदेश में हुए  पुराने सभी बस हादसों की याद दिला दी  है । सेंधवा में  अशोक ट्रेवल्स के सवारी बिठाने को लेकर दूसरी बस से  विवाद के कारण बस में आग लगाने की घटना और  इसमें कई सवारी की जान जाने के बाद भी हमने कोई सबक लिया है  ? कुछ  दिन जाँच  अभियान  चला  बस .हम सब सबक लेते हैं तो कुछ हफ्ते के लिए ,एक दो माह के लिए बाकी भूलकर फिर वही सब करने लगते हैं  जो  नहीं करना चाहिए। 

    शायद आम जनता भी  यह मान  चुकी है कि अब उसकी जान की कीमत कुछ नहीं है और यदि उसे जिंदा रहना है तो खुद ही कुछ  करना होगा । घर से बाहर निकलने पर काम के स्थान पर, फैक्ट्री में, बसों में, ट्रैफिक पर, रोड पर होने वाले झगड़ों में कहाँ उसकी जान चली जाए कह नहीं सकते। 

      औद्योगिक सुरक्षा कानून ,श्रम कानून ,राजस्व के विभिन्न प्रतिबंधात्मक  आदेश के पालन का हम  केवल  दिखावा  करते हैं,  ना तो  विभागों पास अमला  है न ही  रसूखदार  लोगों के विरुद्ध कार्यवाही   करने की  उनमें ताकत है। सरकार कोई  भी आए इस तरह के पैसे वाले रसूखदार  उद्योगपति अपना उल्लू सीधा कर ही लेते हैं .

       प्रशासन  के पास  हरदा हादसे को रोकने के लिए  विस्फोटक  अधिनियम 1884   ,विस्फोटक  पदार्थ अधिनियम 1908  और  विस्फोटक नियम 2008   जैसे  कारगर हथियार थे और  हैं  . कलेक्टर  , एस  डी एमएस डी ओ  पी  , तहसीलदारों को  अधिनियम में  व्यापक शक्तियाँ  दी हुई  है . इन  शक्तियों का सही   उपयोग होता तो बेकसूर  मजदूर  नही मरते . श्रम  विभाग  सक्रिय होता तो बच्चे  सुतली बम में बत्तियां नही  पिरो रहे  होते  .

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अंत में क्षेपक  ...... 2015  में   mp govt (Cm shivraj singh chouhan ) home ministry  के  circular no 1368 /2015/2/c-2 dated 10.03.2015 से  इज ऑफ़  डूइंग  बिजनेस के  चलते  विस्फोटक लायसेंसे  व अनापत्ति  जारी करने  की  अवधि हर स्तर पर जाँच के बाद   छः   माह  से  घटाकर   दो  माह  कर दी  गई थी  .

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com