गरबों  में अश्लीलता हमारी संस्कृति  को  कहां ले जा रही है ?  

उत्सव में ,खुशियों में किसे आनंद  नहीं आता लेकिन सब कुछ यदि शालीनता  से हो तो इसका आनंद दुगना हो जाता है

Oct 11, 2024 - 17:06
Oct 11, 2024 - 17:15
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गरबों  में अश्लीलता हमारी संस्कृति  को  कहां ले जा रही है ?   

नवरात्रि के समय स्थान स्थान पर गरबों  का आयोजन होता है.कई जगह विशाल पंडाल बनते  हैं जिनमें मातृशक्ति भगवान मां दुर्गा की आराधना में गरबे  करती हैं.हमारे उज्जैन में  यह सब पहले नहीं हुआ करता था. गरबों का  आगमन 1995 के आसपास हुआ .पहले फ्रीगंज  में मामा पान भंडार के सामने वाली गली में गरबों का आयोजन गुजराती समाज द्वारा किया जाने लगा.

जैसे-जैसे गुजरात के गरबों की  ख्याति फैली और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसका प्रचार प्रसार हुआ , इवेंट  मैनेजर इसमें शामिल हुए लोगों को  आकर्षित किया . आज स्थिति यह है कि हर मोहल्ले - मोहल्ले में गरीबों का आयोजन होता है . गरबों का आयोजन अब एक इवेंट और बड़ा बिज़नस हो गया देश भर में अरबों रूपये इस पर व्यय होते हैं .

गुजराती गीत -संगीत पर डांडिया रास करना  ,एक प्रदेश की परंपरा दूसरे प्रदेश में जाए, उसका विस्तार हो इसमें कुछ बुराई भी नहीं है .लेकिन गरबों  के  आयोजन के बीच कुछ ऐसे तत्व घुस गए हैं जो गरबा संस्कृति को खराब करके उसको रास्ते से भटका  रहे हैं .

बड़ी-बड़ी होटल और रिसॉर्ट में  प्राइवेट गरबों  का आयोजन होने लगा है जहां पर एंट्री फीस के नाम पर टिकट रखी जाती है. गरबों के  आयोजन में बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटी को बुलाया जाता है .उनके गाये गीतों पर  महिलाओं के सोलो डांस के अलावा कई स्थानों पर  कपल गरबा का आयोजन भी होता है.

उत्सव में ,खुशियों में किसे आनंद  नहीं आता लेकिन सब कुछ यदि शालीनता  से हो तो इसका आनंद दुगना हो जाता है .पिछले दिनों  कुछ  स्थान से ऐसी खबरें मीडिया में आई कि वहां पर अश्लील कपडे पहन  नृत्य किए गए .साथ ही महिलाओं के साथ मॉलेस्टेशन की खबर हरिफाटक- इंदौर रोड के होटल से आई है.  दोनों घटना उज्जैन जैसे शांत शहर के लिए ठीक  नहीं है .

इस तरह का चलन यदि चल गया तो उसको रोक पाना किसी के बस का नहीं होगा. इसलिए गरबा  आयोजकों के लिए एक आचार संहिता बनाई जाना चाहिए .सुरक्षा के साथ-साथ स्व- अनुशासन भी आवश्यक है .जिससे महिलाओं को देर रात आने-जाने में किसी तरह की परेशानी ना हो. प्राइवेट या टिकट वाले गरबों पर  विशेष ध्यान रखते हुए आयोजनों में मर्यादा का पालन होना चाहिए. मर्यादा हमारी संस्कृति का आभूषण रहा है . यदि मर्यादा भंग होगी तो संस्कृति का भी पतन होगा.

 

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com