पहली बार MP में  जिलों व तहसीलों  की संख्या कम करने की बात सामने आई

नये सिरे से सीमांकन के लिए एक सदस्यीय  आयोग गठित

Sep 12, 2024 - 18:12
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पहली बार MP में  जिलों व तहसीलों  की संख्या कम करने की बात सामने आई

MP राज्य सरकार ने पहली बार जिलों ,संभागों और तहसीलों की सीमाओं को लेकर सीमांकन के लिए एक नया आयोग गठित किया है .जिसका अध्यक्ष सेवानिवृत आईएएस अधिकारी मनोज श्रीवास्तव को बनाया गया है .

पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि कई जिले ऐसे बन गए हैं जिनकी कोई उपयोगिता नहीं है जिम पांढुर्णा का नाम लिया गया है.मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं .

 जिलों का  गठन तार्किक होना चाहिए ना की राजनीति से प्रेरित.

मध्य प्रदेश में जिला पुनर्गठन का एक लंबा इतिहास है .कभी  राजधानी भोपाल सीहोर जिले में हुआ करती थी .इसी तरह धीरे-धीरे करके जिलों की संख्या बढ़ने लगी. लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने कार्यकाल  में अविभाजित मध्य प्रदेश में एक साथ 16 जिले बनाकर जिला बनाने की गति को तेज कर दिया .

उसके बाद तो लगभग प्रदेश के हर कोने से नए जिले गठन की मांग उठने लगी . इस मांग को राजनीतिक रूप से पूरा किया जाने लगा.

उज्जैन ,इंदौर व  भोपाल संभाग के कई नए जिले इसी पुनर्गठन की देन है .जिसमें बड़वानी ,अलीराजपुर , आगर , हरदा ,नीमच ,बुरहानपुर जैसे छोटे जिले बनाए गये .

 वैसे  घोषणा तो इस क्षेत्र में नागदा और गरोठ को भी जिला बनाने की हुई थी .लेकिन इनके बनने में भी बड़ी बाधा राजनीति ही  रही है. 

नागदा अब शायद ही जिला बन पाए

     नागदा को जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी 2023 के विधानसभा निर्वाचन के ठीक पहले .तत्कालीन मुख्यमंत्री की शिवराज सिंह चौहान ने जिला बनाने की घोषणा की थी .

लेकिन उसके बाद खाचरोद का विवाद और  महिदपुर किस जिले में शामिल हो इस पर भी बहस हुई और जिला बनने का नोटिफिकेशन जारी होने से रुक गया. अब सरकार ने जिलों की सीमाओं के बारे में पुनर्विचार करना शुरू किया है तो शायद ही उज्जैन से 55 किलोमीटर दूर कोई नया जिला बन पाए.

जिले बनने से  क्या लाभ- हानि

   आमतौर पर जिला बनाने की मांग करने के पीछे उद्देश्य रहता है कि  व्यापारी एवं किसी भी किसान को  कोर्ट कचहरी के काम से  लंबी यात्रा न  करना पड़े और प्रशासनिक कसावट बनी रहे . 

 नए जिले बनने से प्रशासनिक व्यय अत्यधिक बढ़ जाता है . नया जिला बनने पर सारा अमला नये  से नियुक्त करना होता है . पहले एक डिप्टी कलेक्टर, एक डी एस पी  ही तहसील का  प्रशासन चला रहे  होते  है .नया जिला चलाने के लिए आईएएस आईपीएस और ताम झाम लगाये  जाते हैं. 

 एक  नगर पालिका मुख्यालय वाली तहसील अचानक जिला घोषित हो गई. .तीन चार साल बाद  वहां के रहवासियों  से चर्चा की कि जिला बनने से क्या लाभ हुए  है .

वे बोले जिला बनने के लाभ तो अपनी जगह है लेकिन अब रिश्वत के दाम दुगने हो गए है .पहले निचले  स्तर के अधिकारी दो – पांच सौ  में काम कर दिया करते थे और अब  इसमें जिलाधिकारी का हिस्सा भी जुड़ गया है और छोटे-छोटे से कामों के लिए बड़ी धनराशि देना पड़ती है.

उपहास में  कही गई बात में कुछ सच्चाई जरुर  होगी .नये  जिले और राज्य बनने की  कीमत अंततः आम नागरिक को ही चुकाना पड़ती है.

 .

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com