रेलवे के चार प्रोजेक्ट जो मालवा की तकदीर बदलेंगे
2028 के पहले इन नये रेल मार्गों का पूरा होना जरूरी

मालवा क्षेत्र में इंदौर से लेकर धार - झाबुआ - दाहोद तथा धार- सरदारपुर- टांडा -जोबट खांडला - अलीराजपुर – छोटा उदयपुर तक के दो रेल मार्ग वर्ष 2008 से लेकर अब तक प्रगति रत हैं . इनको पूरा होने में अभी भी 2026 तक का समय लगेगा. इंदौर ओम्कारेश्वर – खंडवा गेज परिवर्तन भी अभी पूरा नहीं हुआ है यह भी 2026 तक पूरा होगा .हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा इंदौर मनमाड़ रेलवे लाइन की मंजूरी दी गई है जो मध्य प्रदेश के पांच जिलों में जीवन रेखा का कार्य करेगी . इसके पूरे होने की समय सीमा वर्ष 2028 - 29 रखी गई है.
उक्त चारों रेल प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो न केवल इंदौर बल्कि उज्जैन को सीधे मुंबई तथा दक्षिण के हैदराबाद से जोड़ेंगे . इन रेलमार्गों से आवागमन तो होगा ही लेकिन व्यापार व्यवसाय में कितनी वृद्धि होगी यह कल्पना से परे है. किसी क्षेत्र में रेल मार्ग निकलने के मायने क्या होते हैं इसका बाद के समय में उस क्षेत्र की होने वाली आर्थिक प्रगति से आकलन किया जा सकता है.
मध्य प्रदेश का उज्जैन -इंदौर रेल के मामले में पिछड़ा हुआ है .आज भी इंदौर से शुरू होने वाली ट्रेन इंदौर पर ही टर्मिनेट होती है. इन चार मार्गों के खुलने से निश्चित रूप से मालवा क्षेत्र को बहुत लाभ होगा.
सिंहस्थ 28 में करोड़ों की संख्या में पहुंचने वाले दर्शनार्थियों को वैकल्पिक मार्ग से लाया ले जाया जा सकेगा, इससे श्रद्धालुओं के प्रबंधन में आसानी होगी.नये मार्ग बनने से पुराने रूट पर ट्राफिक का दबाव भी कम होगा .
इंदौर- दाहोद, छोटा उदयपुर,खंडवा मार्ग की वर्तमान स्तिथि
लेकिन टीही से धार और धार से सरदारपुर -टांडा -जोबट खाडला होकर अलीराजपुर तथा धार से झाबुआ पिटोल होकर दाहोद का मार्ग अभी भी प्रगतिरत है . रेलवे की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार धार जिले में अधिकांश मार्ग की जमीन ही अधिकृत होना शेष है . इस कारण से प्रगति रुकी हुई है.
रेलवे प्रोजेक्ट केवल केंद्र सरकार के नहीं होते हैं .जिन राज्यों से रेल मार्ग गुजरते हैं उन राज्यों को ही इसका मुख्य फायदा होता है .इसलिए सिहस्थ 2028 के मद्दे नजर प्रदेश सरकार को इन चारों रेलवे प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई तुरंत करना चाहिए .
संबंधित जिलों के कलेक्टर को बुलाकर समस्या का निदान करवाना चाहिए . रेलवे के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य सड़क की तुलना में कम कठिन है . जमीन अधिग्रहण का कार्य वर्षों बाद भी क्यों बाकी है यह चिंता का विषय है. उम्मीद करें कि राज्य सरकार उच्च स्तर पर इस मामले संज्ञान लेगी .
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