दिल्ली में चुनाव मजेदार हो रहा है , तू डाल- डाल तो मै पात - पात
हालांकि 70 सीट की विधानसभा में पिछली बार 62 सीट जीतकर केजरीवाल ने खुद को चैंपियन साबित किया था .इस हिसाब से देखा जाए तो भाजपा को भी क्लीन स्वीप मिलने की उम्मीद कम ही दिख रही है .भाजपा शायद इसी में खुश हो सकती है की लड़ाई बराबरी पर छूटे.

अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा चुनाव में परीक्षा दे रहे हैं. पिछले दो चुनाव उनके लिए आसान रहे थे लेकिन इस बार भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और ओवैसी उनके लिए मुश्किल है खड़ी कर रहे हैं .कथित शराब घोटाले की छाया में भाजपा केजरीवाल को घेरने का प्रयास कर रही है .हालांकि 70 सीट की विधानसभा में पिछली बार 62 सीट जीतकर केजरीवाल ने खुद को चैंपियन साबित किया था .इस हिसाब से देखा जाए तो भाजपा को भी क्लीन स्वीप मिलने की उम्मीद कम ही दिख रही है .भाजपा शायद इसी में खुश हो सकती है की लड़ाई बराबरी पर छूटे.
हालांकि चुनाव में भाजपा की तमाम तकनीक का तोड़ केजरीवाल की आप पार्टी के पास है .तू डाल-डाल तो मै पात पात वाली तर्ज पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं .केजरीवाल की टीम जहां अपने कामों जिनमें शिक्षा में किए गए सुधार, स्कूलों के निर्माण ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुफ्त इलाज और मुफ्त बिजली राशन पर सवार होकर चुनाव लड़ने जा रहे है .साथ ही आप लाडली बहन स्कीम को नए नाम के साथ प्रचारित कर रही है.
आमतौर पर देखा गया है कि मौजूदा सरकार जो रेवड़ी बांटती आ रही है उसको हराना मुश्किल पड़ रहा है .यह मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ झारखंड ,हरियाणा में स्पष्ट रूप से उभर कर आया है. जनता जो दे रहा है इस पर भरोसा करती है देने के वादा करने वाले पर कम ही विश्वास हो रहा है. मुफ्त रेवड़ियां बांटने की शुरुआत दक्षिण से हुई थी जो दिल्ली में छाई हुई है. अर्थव्यवस्था और जीडीपी की किसी को कोई फिक्र नहीं है. सत्ता में बने रहने के लिए पैसे बांटो और राज करो . चार्वाक का दर्शन कर्ज करो और घी पियो तो पहले से ही पॉपुलर है. काम करो या ना करो बस बताते जाओ. केजरीवाल हजार दे रहे हैं और 2100 का वादा कर रहे हैं तो संभव है कि सहज ही दिल्ली का पूर्वांचल भाग इस पर विश्वास कर ले . इस बार फिर से केजरीवाल 62 सीट न भी ला पाए तो सत्ता में अवश्य आ सकते हैं .दूसरी और भाजपा के पास मुख्यमंत्री का चेहरा स्पष्ट नहीं है केजरीवाल ने रमेश बिधूड़ी का नाम उछल कर बदनाम अलग और कर दिया है उसका जवाब भाजपा नहीं दे पा रही हैं. ईडी ,सीबीआई के दम पर चुनाव लड़कर दिल्ली में भाजपा क्या कर पाती है यह तो 5 फरवरी को स्पष्ट होगा , लेकिन पूरा देश इस चुनाव के मजे जरूर ले रहा हैं
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