तेरे  मेरे मिलन की ये रैना नया कोई गुल खिलायेगी

1973 में बना यह गीत आज भी अपने उम्दा संगीत के  साथ लहर -लहर मन में उतरता है. इस गीत का फिमांकन  फ़िल्म के  क्लायमैक्स  में किया गया है. इस  गीत कों गाते वक़्त नायक का ईगो विगलित होता है.

Jun 18, 2024 - 08:03
Jun 18, 2024 - 08:34
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तेरे  मेरे मिलन की ये रैना   नया कोई गुल खिलायेगी

                       हम उस पीढ़ी के है जो अमिताभ बच्चन की जवानी को देखते हुए बड़ी हुई. अमिताभ बच्चन की एक फिल्म अभिमान आई थी 1973 में ,ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में पति-पत्नी का ईगो क्लैश  दिखाया गया था. यह फिल्म जीवन की वास्तविकताओं के बहुत अधिक निकट थी.

                फिल्म की कहानी में एक प्रसिद्ध गायक एक लड़की की आवाज से मोहित होकर उससे विवाह कर लेता है. बाद में उसको गायन क्षेत्र में आगे  बढ़ाता है. कुछ दिनों में गायिका अधिक  प्रसिद्ध हो जाती है. गायक से भी ज्यादा लोकप्रिय हो जाती है.बस यही से ईगो क्लैश शुरू होता है.इसका चित्रण परत-दर-परत ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में फिल्म में बहुत ही अच्छे तरीके से उभर कर आया है.

              पति-पत्नी बनने के बाद अमिताभ बच्चन और जया भादुरी की  यह पहली फिल्म थी. इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री सहज  उभरकर आई है. दोनों पति पत्नी थे इसलिए गहराई से अभिनय कर पाए .

            अब बात करते हैं इस फिल्म के  गीत की जो आज भी जब बजता है तो सुनने वालों को रोमांचित कर देता है.तेरे मेरे मिलन की यह रैना,यह गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा है और सचिन देव बर्मन ने संगीत दिया है. इसको आवाज दी है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने. रोमांटिक गीतों की श्रेणी में यदि इस गीत को परखा जाए तो यह टॉप टेन गीतों में से एक होगा. 

  तेरे  मेरे मिलन की ये रैना

  नया कोई गुल खिलायेगी

 तभी तो चंचल हैं तेरे नैना

 देखो ना,

 देखो ना

   गीत का ये मुखड़ा पति-पत्नी के बीच शुरु हो रहे  वैवाहिक संबंधो के विस्तार  की ओर इंगित करता है. सचिन दा के मधुर संगीत में गुंथा अमिताभ व जया का अभिनय बहा ले जाता  है.

        पहले अंतरे में  वैवाहिक जीवन की सुखद संभावना छिपी है...

 नन्हां सा गुल खिलेगा अँगना

 सूनी बइंयाँ सजेगी सजना 

 जैसे खेले चंदा बादल में

 खेलेगा वो तेरे आंचल में

 चंदनिया गुनगुनायेगी 

 तभी तो चंचल हैं तेरे नैना

 देखो ना ...

 

           मजरूह ने इस गीत में अपनी रूह भर दी है.वे इशारा करते है

  सुनी बइयाँ सजेगी सजना, जैसे खेले चंदा बादल में

  खेलेगा वो तेरे आंचल में.

          चाँद के आँचल में खेलने की बात वे ही लिख सकते थे.गीत का अंतिम बंद एक दम्पति की आदर्श स्तिथि को स्पष्ट करता प्रतीत होता है. किशोर कुमार की आवाज में अमिताभ  जया से कहते है 

  तुझे थामे कई हाथों से

 मिलूंगा मदभरी रातों में...

 जया का लता की आवाज में जवाब कुछ इस तरह है 

 जगा के अनसूनी सी धड़कन

 बलमवा भर दूंगी तेरा मन

 नई अदा से सतायेगी 

 तभी तो चंचल हैं तेरे नैना, देखो ना ...

        1973 में बना यह गीत आज भी अपने उम्दा संगीत के  साथ लहर -लहर मन में उतरता है. इस गीत का फिमांकन  फ़िल्म के  क्लायमैक्स  में किया गया है. इस  गीत कों गाते वक़्त  अमिताभ का ईगो विगलित होता है. नायक  अपने घमंड में जो व्यवहार पत्नी से कर बैठता है और जिसके कारण गायिका की आवाज़ चली जाती है.उसका पश्चाताप अभिनित होता है. फ़्लैश बैक में दोनों के अंतरंग ख़ुशी के पलों कों जया की स्मृति में दिखाया गया है.  

        अमिताभ -जया की जवानी के साथ यह गीत हम जैसो को अपनी जवानी की याद दिला देता है और आज के जवानो की उमंगों को दहका देता है.एक बार स्वर लहरी छेड़ कर देखिए.पूरा गीत सुने बिना छोड़ नही पाएंगे. 

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com