तेरे मेरे मिलन की ये रैना नया कोई गुल खिलायेगी
1973 में बना यह गीत आज भी अपने उम्दा संगीत के साथ लहर -लहर मन में उतरता है. इस गीत का फिमांकन फ़िल्म के क्लायमैक्स में किया गया है. इस गीत कों गाते वक़्त नायक का ईगो विगलित होता है.
हम उस पीढ़ी के है जो अमिताभ बच्चन की जवानी को देखते हुए बड़ी हुई. अमिताभ बच्चन की एक फिल्म अभिमान आई थी 1973 में ,ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में पति-पत्नी का ईगो क्लैश दिखाया गया था. यह फिल्म जीवन की वास्तविकताओं के बहुत अधिक निकट थी.
फिल्म की कहानी में एक प्रसिद्ध गायक एक लड़की की आवाज से मोहित होकर उससे विवाह कर लेता है. बाद में उसको गायन क्षेत्र में आगे बढ़ाता है. कुछ दिनों में गायिका अधिक प्रसिद्ध हो जाती है. गायक से भी ज्यादा लोकप्रिय हो जाती है.बस यही से ईगो क्लैश शुरू होता है.इसका चित्रण परत-दर-परत ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में फिल्म में बहुत ही अच्छे तरीके से उभर कर आया है.
पति-पत्नी बनने के बाद अमिताभ बच्चन और जया भादुरी की यह पहली फिल्म थी. इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री सहज उभरकर आई है. दोनों पति पत्नी थे इसलिए गहराई से अभिनय कर पाए .
नया कोई गुल खिलायेगी
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना
देखो ना,
देखो ना,
गीत का ये मुखड़ा पति-पत्नी के बीच शुरु हो रहे वैवाहिक संबंधो के विस्तार की ओर इंगित करता है. सचिन दा के मधुर संगीत में गुंथा अमिताभ व जया का अभिनय बहा ले जाता है.
पहले अंतरे में वैवाहिक जीवन की सुखद संभावना छिपी है...
नन्हां सा गुल खिलेगा अँगना
सूनी बइंयाँ सजेगी सजना
जैसे खेले चंदा बादल में
खेलेगा वो तेरे आंचल में
चंदनिया गुनगुनायेगी
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना,
देखो ना ...
मजरूह ने इस गीत में अपनी रूह भर दी है.वे इशारा करते है
सुनी बइयाँ सजेगी सजना, जैसे खेले चंदा बादल में
खेलेगा वो तेरे आंचल में.
चाँद के आँचल में खेलने की बात वे ही लिख सकते थे.गीत का अंतिम बंद एक दम्पति की आदर्श स्तिथि को स्पष्ट करता प्रतीत होता है. किशोर कुमार की आवाज में अमिताभ जया से कहते है
तुझे थामे कई हाथों से
मिलूंगा मदभरी रातों में...
जया का लता की आवाज में जवाब कुछ इस तरह है
जगा के अनसूनी सी धड़कन
बलमवा भर दूंगी तेरा मन
नई अदा से सतायेगी
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना, देखो ना ...
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