IAS की पहली पोस्टिंग में ही जहां नए लड़के सहमे- सहमे से रहते हैं , मोहतरमा जलवा काटने में लग गई पोल खुलवा बैठी
ऊपर वाला आदमी की सौ गलतियां माफ करता है , शिशुपाल की सौ गलतियां पूरी होने का इंतजार करता है

शिशुपाल और भगवान कृष्ण के बीच की शत्रुता और शिशुपाल के वध की पौराणिक कथाओं में इसी तरह का विवरण मिलता है
युधिष्ठिर के राजतिलक समारोह मे शिशुपाल ने कृष्ण को 100 से अधिक बार अपशब्द कहे. लेकिन भगवान कृष्ण ने शिशुपाल की मां को शिशुपाल की 100 गलतियां पूरी होने तक माफ करने का वचन दिया था.
इसलिए उन्होंने उसके विरुद्ध शस्त्र नहीं उठाया. जैसे ही अपशब्दों की संख्या 100 के पार हुई कृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया।
ऊपर वाला (कोई तो बैठा है) भी व्यक्ति की सौ गलतियाँ माफ करता है. मनुष्य है कि गलती पर गलती करता जाता है.
घमंड में उसे ध्यान नहीं रहता है कि उसकी गलतियों की संख्या सौ पार करने जा रही है. जैसे ही 100 का आंकड़ा पार होता है प्राकृतिक रूप से ईश्वर उसे दंड अवश्य दे देते हैं.
इस सन्दर्भ में हाल ही के घटनाक्रम पर जाए तो एक युवा महिला आईएएस अधिकारी का किस्सा मीडिया में जोर शोर से चल रहा है. बताया जाता है कि उसके दादा -पिता बड़े पदों पर थे.
पिताजी आईएएस अधिकारी थे और आईएएस अधिकारी होने के नाते जो विशेष अधिकार उनको प्राप्त थे उनका दुरुपयोग करते हुए उन्होंने अकूत संपत्ति खड़ी की.
यहीं मन नहीं भरा अपनी बेटी को भी आई ए एस के पद पर देखना चाहते थे तो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाई.
कैसे भी हो सके उसको आईएएस अधिकारी के रूप में प्रतिस्थापित करने की धुन मे कथित रूप से झूठे सर्टिफिकेट और विकलांगता के प्रमाण पत्र बनवाये ,अधिकार का दुरुपयोग करते हुए इस सेवा में एंट्री दिलवा दी.
यहां तक सब ठीक-ठाक चल रहा था अपराधों की गिनती भी सौ के पार नहीं हुई थी. लड़की को ट्रेनिंग करवाकर रसूख,पैसे के बल पर महाराष्ट्र का कैडर भी अलॉट करवा लिया गया.
धन -पैसा और पद सर पर चढ़कर बोल रहा था. पहली पोस्टिंग में ही जहां नए लड़के सहमे- सहमे से रहते हैं , सीखने की प्रक्रिया में होते हैं,वही मोहतरमा जलवा काटने में लग गई. जॉइनिंग के पहले ही गाड़ी -घोड़े -अर्दली की मांग बहुत ही एरोगेंट मैनर में जिला कलेक्टर से कर बैठी.
जिला कलेक्टर जो इन सब प्रक्रियाओं से गुजर कर अधिकारी बने थे उन्हें बुरा लगा और संज्ञान लेकर मामला ऊपर पहुंचा दिया की मैडम बहुत तेज चल रही है.
इस बीच मीडिया की नजर पूरे घटनाक्रम पर पड़ गई और माहौल कट गया. जब मीडिया खुदाई करने लगा तो यू ट्यूब के ज़माने मे तमाम चीज बाहर आ गई.
जमीन के मामले में युवा अधिकारी की माँ द्वारा पिस्टल से धमकाने, पिता की संपत्ति और खुद आईएएस अधिकारी के नाम 40 करोड़ की संपत्ति का होना. जाति व विकलांग प्रमाणपत्र आदि सब एक-एक खुलकर सामने आने लगे. .
रसूख और पैसे के दम पर इंटरव्यू में अधिक नंबर प्राप्त कर लेना तो भारतीय समाज ने स्वीकार कर चुका है. लेकिन फर्जी आरक्षण के सर्टिफिकेट बनाना ,उनका दुरुपयोग कर पद को प्राप्त कर लेने की भी कलाइयां खुल गई.
नीट, व्यापम, प्रादेशिक लोकसेवा आयोग जैसे अनेक संस्थानों के साथ-साथ अब यूपीएससी जैसी संस्था पर भी उंगली उठने लगी है.
हम यह कह सकते हैं कि शायद इन संस्थाओं के भी 100 अपराधो की गिनती पूरी हो गई है. इसीलिए गड़बड़ी सामने आने लगी है.
वैसे भी देखा जाए तो सरकारी नौकरियों में सालों साल से यह सब कुछ होता आ रहा है. लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी जानकारी लोगों को नहीं हुआ करती थी और ना ही मीडिया इतना जागरूक था .
सरकारी बड़े पदों की बंदर बाँट तो कुछ इसी तरह होती रही है ,होती भी रहेगी लेकिन मीडिया और लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है.
प्रश्न खड़ा होने लगा है क्या हिंदुस्तान में कोई ऐसी एक संस्था है जो इमानदारी से परीक्षाओं का संचालन करती है और भर्ती प्रक्रिया को प्रदूषित होने से बचाए रखे हुए है. यदि है तो ऐसे संस्थान को चिन्हित कर पुरस्कृत करना चाहिए.
सरकारी नौकरी यो में येन -केन घुसने के लिए प्रयास हर स्तर पर होते आए हैं. आरक्षण में आरक्षण और आरक्षण से शेष बची ओपन सीटों पर बड़े-बड़े नेताओं, पैसे वालों में किस तरह से पदों की बंदर बांट होती रही है यह सब अब सामने आने लगा है.
हमें उम्मीद करना चाहिए की 100 की गिनती पूरी होने पर शायद इस कलयुग में भी कृष्ण अवतार लेंगे और शिशुपालों का वध करेंगे.
Article written by :Harishankar sharma
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