सिलीगुड़ी में हुए एक्सीडेंट और वन्दे भारत के Developer सुधांशु मणि के बहाने से Indian Railway के बारे में चर्चा कर ही ली जाये.
देश की जनसंख्या कथित रूप से 140 करोड़ पार हो गई है. रोजाना 2.3 cr लोग रेल यात्रा करते है. सस्ता सुलभ साधन होने से हर कोई इसका उपयोग करता है. देश में कश्मीर से कन्या कुमारी , डीब्रुगढ़ से ओखा तक यात्री 50 से 60 घंटे की रेल यात्रा करने वाले भी मिल जायेंगे.
सिलीगुड़ी और इससे पहले बंगाल ही में हुई दुर्घटनाओं में लोगो के मारे जाने की घटनाये हुई है. दुर्घटनाये तो आजाद भारत के पहले रेल मंत्री लालबहादुर शास्त्री के जमाने से होती आई है. एक समय तो ऐसा आया था कि हर एक दो महीने में दुर्घटना की लाइन लगी रहती थी. कई बार तो पूरी की पूरी ट्रैन बाग़मती नदी में समा जाती थी.
नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में दुर्घटनाओ की संख्या अपेक्षाकृत कम हुई है फिर भी आलोचना तीखी हो रही है. रेलवे ट्रैक के सुधार का काम इस सरकार के दौर में शुरू हुआ.पियूष गोयल और बाद में ब्यूरोक्रैट से मंत्री बने अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री रहे. इन दोनों ने काम अच्छा ही किया.
वस्तुतः नरेंद्र मोदीजी सरकार में रेल का चेहरा बदलने का प्रयास हुआ और चेहरा गलती से कॉर्पोरेट का लग गया. रेल चलाना व्यवसाय है और व्यवसाय में घाटा नही होना चाहिए.सरकार के दोनों रेल मंत्री व्यापारी वर्ग से आते है और उन्होंने नीतीशकुमार,लालू यादव व ममता बनर्जी की गरीब रथ वाली समाजवादी विचारधारा को पलट दिया. सोच यह हो गई की जिन पैसेंजर से राजधानी, शताब्दी और नई चली वन्दे भारत में अधिक किराया लिया जाता है उनकी सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाये.
जनता की रेल अब Corporate रेल बन गई. Vande Bharat आ गई है Bullet train आने वाली है .स्टेशन पर खड़ी बैठने की जगह के लिए संघर्ष करती आम जनता शताब्दीयो और वन्दे भारतो में सवारीयों को लजीज नाश्ता करते देख जल-भुन गई .ऊपर से हमारे रेल मंत्री चुनाव के दौरान Vande Bharat के बनने से लेकर उसकी गति और गिलास के पानी के न छलकने को लेकर न्यूज चैनलो पर वाहवाही लूटते रहे . स्वयं को निष्पक्ष घोषित करने वाले लल्लन टॉप वाले सौरभ द्विवेदी ने भी चुनाव के दौरान अपने जूनियऱ सहयोगी को रेल मंत्री वैष्णव से जनरल कोच घटाने का प्रश्न पूछने से रोक दिया था .
Sudhanshu mani रेलवे के महाप्रबंधक पद से रिटायर हुए हैं. ये कोच फैक्ट्री के GM थे जिन्होंने Vande Bharat जैसी ट्रेन को विकसित करने में अपना योगदान दिया. उन्होंने सिलीगुड़ी हादसे पर बयान देते हुए कहा कि रेलवे को आम लोगों के बारे में सोचना चाहिए . जिस परिस्थितियों में आम आदमी रेलवे में यात्रा कर रहा है वह कष्टदायक है. मणि ने कहा सरकार को Vande Bharat और एसी कोच की बजाय सामान्य कोच बढ़ाने पर ध्यान देनाचाहिए .जिस तरह से सामान्य सवारी आरक्षित कोच में घुसकर के अन्य लोगों को परेशानी खड़ी कर रही है यह देखना होगा .साथ ही उन्होंने कहा कि देश में रेलवे में कवच जैसी तकनीक का केवल प्रचार- प्रसार किया गया है और वाहवाही लूटने का काम हुआ है .केवल 1500 किलोमीटर क्षेत्र में ही कवच लगाया गया है जिससे कि रेल आपस में टकराए नही . 67000 km से अधिक रेलवे ट्रैक में से 1500 किलोमीटर में कवच लगाना कोई मायने नहीं रखता .उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस काम के लिए धन नहीं है .उनका कहना था कि रेलवे के बड़े अधिकारी और मंत्री केवल बड़ी-बड़ी परियोजना के प्रचार -प्रसार में लगे हैं. मणि की बात की तस्दीक करने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है. किसी भी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में आने वाली भीड़ को देख लीजिए. किस कदर जनरल कोच की कमी है और भेड़ बकरी की तरह इसमें भारत की जनता जनार्दन यात्रा कर रही है .जिन्हें की चुनाव के वक्त भारत का भाग्य विधाता कहकर सम्बोधित किया जाता है .
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