दुनिया  तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर विश्व में कोई सर्वमान्य नेता नही जो कूटनीतिक पहल करे ,भारत की ओर नजर  

सैन्य विशेषज्ञों  को आशंका  हैं कि  इजराइल के ईरान के तेल के कुएं और परमाणु ठिकानों  पर हमला करते ही यह  सीमित युद्ध विश्व युद्ध में  तब्दील न हो जाए

Oct 21, 2024 - 20:23
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दुनिया  तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर  विश्व में कोई सर्वमान्य नेता नही जो कूटनीतिक पहल करे  ,भारत की ओर नजर   

 इजरायल और मिडिल ईस्ट के तीन देशों के बीच  युद्ध चल रहा है .कहने को तो युद्ध मध्य पूर्व के कुछ हिस्से में ही सीमित है .लेकिन इसके विश्व भर में फैलने के अंदेशा  होने लगा है. इजराइल ,फिलिस्तीन के हिजबुल्ला और हमास के आतंकवादियों को ख़त्म करने के लिए लगातार गाजा पट्टी ,लेबनान और सीरिया में बमबारी कर रहा है . हमास जैसे आतंकवादी संगठन को ईरान समर्थन दे रहा है . इस कारण से ईरान ने लगभग 100 मिसाइल से इसराइल पर हमला बोल दिया .इजराइल का डिफेंस सिस्टम बहुत ज्यादा इफेक्टिव है . उसके आईरन डोम के  कारण  उसको बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ लेकिन अक्टूबर 2023  में हमास  के हमले में उसके कई नागरिक मारे गए .150 से अधिक इसराइल नागरिक  अभी भी हमास ने बंधक बनाकर रखे हुए हैं. 

 ईरान के हमले के बाद इजरायल खामोश बैठने  वालों में से नहीं है .लेकिन अभी उसने खामोशी अख्तियार कर रखी है .वह मौके की तलाश में है .सैन्य विशेषज्ञों  को आशंका  हैं कि  इजराइल के ईरान के तेल के कुएं और परमाणु ठिकानों  पर हमला करते ही यह  सीमित युद्ध विश्व युद्ध में  तब्दील न हो जाए, क्योंकि इसराइल को अमेरिका फ्रांस इंग्लैंड और नाटो देशों द्वारा द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है.

      उधर ईरान ने  जो  मिसाइल  इसराइल पर गिराई वह रूसी  थी .यानी कि रूस चीन और उत्तरी  कोरिया एक धुरी  पर खड़े होकर न केवल इसराइल बल्कि अमेरिका का विरोध कर रहे हैं. 

      जानकारों का मानना है कि  जैसे ही इसराइल ने  ईरान के विरुद्ध अनुचित कदम उठाया विश्व एक बड़े युद्ध में फंस जाएगा. यह विश्व युद्ध प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध से कहीं ज्यादा विनाशकारी होगा. परमाणु क्षमता संपन्न राष्ट्रों की संख्या भी विश्व में बढ़ गई है. 

 

युद्ध को टालने के कूटनीति प्रयास हो 

 

         इजरायल किसी की सुन नहीं रहा है हिजबुल्ला और हमास के  आतंकवादी यो को नष्ट करने में अपनी सुरक्षा देख रहा है .इसराइल और ईरान का टकराव आगे बड़े  युद्ध में  न बदले इसके लिए कूटनीतिक प्रयास होना बहुत जरूरी है  यह कूटनीतिक  प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब पहले रूस - यूक्रेन युद्ध  रुके.

 

     यह यूक्रेन युद्ध का ही नतीजा है कि इसराइल को समर्थन देने वाले अमेरिका को परेशान करने के लिए रूस और चीन ने एक धुरी बनाकर ईरान को समर्थन देना शुरू किया ईरान के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उसने सीधे इसराइल मिसाइल फेंक दी. ईरान  ने घोषणा की कि हम इसराइल को विश्व नशे से हटाकर ही मानेंगे .स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका ने अपने युद्धपोत गाजा पट्टी और इजरायल के चारों ओर खड़े कर दिए ,इधर रूस और चीन भी भी तैयार है

 

      अमेरिका तथा और उसके राजनीति सहयोगी    रूस के आपस  में मिल बैठकर शिखर  वार्ता करें और शांति के लिए कोई हल निकाले. इस तरह के प्रयास के लिए  विश्व भारत की तरफ देख रहा है . भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में पहल कर सकते है . इसराइल ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भी अपने यहां नहीं आने दिया है .इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू  से भारत के  नरेंद्र मोदी के अच्छे संबंध है . उनके पुतीन वा बाईडेन से भी अच्छे रिश्ते हैं . विश्व में कोई ऐसा नेता नही दिख  रहा है जो सबको  एक स्थान पर बिठाकर बातचीत करवा सके.

 

 धर्म  के नाम पर अधर्म हो रहा है

 

   इसराइल की जनसंख्या 9 लाख है  यहाँ यहूदी धर्म के लोग निवास करते हैं .पहले इनका अत्यधिक उत्पीड़न हुआ .खुद ईसाई धर्म  मानने वाले हिटलर ने लाखों की संख्या में यहूदियों का कत्लेआम  किया .द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यहूदियों को अपना होमलैंड देने के लिए इजरायल की स्थापना अमेरिका एवं यूरोपीय देशों ने मिलकर की .यहां रहने वाले  फिलिस्तीनयों  को बेदखल कर   दिया और तभी से इजरायल ईरान ,इराक,  मिस्र आदि देशों की आंखों में खटक रहा है .इसराइल अनेक बार  संयुक्त हमले को विफल कर चुका है. मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर फिलिस्तीनों का सपोर्ट करने वाले सभी मुस्लिम राष्ट्र इसराइल को मिटा देना  चाहते हैं. 

 

 भारत की क्या स्थिति

 

     जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी के  प्रधानमंत्री रहते हुए भारत फिलिस्तीन का समर्थक रहा है . फिलिस्तीन के नेता यासेर  अराफात कई बार भारत की यात्रा कर चुके थे .लेकिन बाद में फिलीस्तीन  होमलैंड की मांग आतंकवादियों के हाथ में चली गई. हमारे देश में भी सत्ता परिवर्तन के साथ धीरे-धीरे इजरायल के साथ अच्छे  संबंध बनने लगे. आज भारत के इजरायल के साथ बहुत ही अच्छे विदेश संबंध है लेकिन फिर भी भारत ईरान ,इराक आदि देशों से भी संबंध बनाये रखना चाहता है इसलिए वह तटस्थ  बना हुआ है.

 

विश्व युद्ध छिड़ गया तो क्या होगा

 

          तीसरा विश्व युद्ध कभी भी छिड़ सकता है आज पूरा विश्व इस स्थिति में पहुंच चुका है .दो महा शक्ति रूस और अमेरिका संपूर्ण विश्व को नियंत्रित करती है. हालांकि संख्या बल के हिसाब से अमेरिका का पलड़ा  भारी है लेकिन रूस के पास भी बड़े हथियार और परमाणु क्षमता है और उसके साथ अधिनायकवादी  चीन और उत्तरी कोरिया शामिल है .

     रूस ने अमेरिका को अलग-थलग करने के लिए मध्य पूर्व में सभी मुस्लिम राष्ट्रों को अपने खेमे में ले लिया है. युद्ध छिड़ गया तो अत्याधुनिक हथियारों और परमाणु बम  का प्रयोग किया तो करोड़ों की संख्या में लोग मारे जाएंगे .संसाधन नष्ट होंगे.  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जितनी भी प्रगति साइंस टेक्नोलॉजी ,अधोसंरचना   में हुई है उस सब के  नष्ट होने की संभावना बनी हुई है. यही नही  परमाणु युद्ध से हमारा वातावरण जल थल नभ  तीनों दूषित हो जाएंगे  

      भारतीय अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से विश्व युद्ध से अत्यधिक प्रभावित होगी . फिलहाल यदि इसराइल और ईरान का युद्ध भी हो गया तो उससे भी भारत में अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा .यहां पर कच्चे तेल के दाम बढ़ जाएंगे व भारत की जीडीपी पर इसका विपरीत असर होगा.

 

 

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com