1972  में एक फिल्म आई थी बावर्ची

यह ऋषि दा का ही  सम्म्मान था की तब का सुपर स्टार एक ही ड्रेस में  पूरी फ़िल्म करने को राजी हो गया. राजेश खन्ना के अभिनय की कितनी आलोचना होती है. लेकिन लोगों को बावर्ची और आनंद देखना चाहिए.

Jun 26, 2024 - 19:41
Jun 26, 2024 - 20:07
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1972  में एक फिल्म आई थी बावर्ची

1972  में  आई थी बावर्ची

       यह फ़िल्म तब की है जब आज जिनकी उम्र 62 वर्ष है वे तब 10 वर्ष के रहे होंगे. पारिवारिक पृष्ठ भूमि पर बनाई गई इस फ़िल्म की पटकथा व निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था. संगीत मदन मोहन का था,उन्होंने मन्नादा के कई मधुर गीतों की कंपोजिशन दी.

     ऋषिकेश मुखर्जी ने इस फ़िल्म को एक बँगले में ही फिल्माया है.इस फ़िल्म के हीरो है राजेश खन्ना, अभिनेत्री के नाम पर तब की नई हीरोइन जया भादुरी है. हालांकि इसमें जया व राजेश खन्ना के रोल भाई बहन जैसे है. जया का रोमांस किसी अनाम से एक्टर से दिखाया गया है.कैरेक्टर एक्टर में ए के हंगल और असरानी, पेंटल प्रमुख है. घर के मुखिया का रोल हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय  ने निभाया है. पूरी फ़िल्म में राजेश खन्ना जैसे रोमांटिक एक्टर ने खाकी कमीज, खाकी हाफपेंट और सफ़ेद टोपी पहन कर घरेलू नौकर के रूप में अपना किरदार निभाया है. 

     कहानी की शुरुआत अमिताभ बच्चन की दमदार आवाज़ में की गई कमेंट्री  से होती है जिसमे वे शांति निकेतन नामक घर में रहने वाले पात्रों का परिचय करवाते है.शांति निकेतन नाम का ही शांति था. यहॉं के रहवासी एक दूसरे को नीचा दिखाने,षड़यंत्र करने और  घर के मुखिया की दौलत पर नजरें गड़ाये रह रहे थे. घर के मुखिया के पास एक संन्दूक होता है जिसमे सोना चांदी भरा होता है. मुखिया घर की बहुओं से चिढ़ता है, जो घर का काम नही करती है .अपने लड़को को वह जोरू का गुलाम कह फटकारता रहता है. घर के काम को लेकर एक अकेली बिन माँ बाप की लड़की जिसका रोल जया भादुरी ने किया है पिसती रहती है.

       हलके फुल्के अंदाज में बनी फ़िल्म में एक समय का प्रोफेसर रहा राजेश खन्ना नौकर बन आता है. उसका मिशन दुनिया में खुशियाँ बाँटना है.राजेश खन्ना का किरदार रघु घर के लोगो की कामचोरी की नब्ज पकड़ लेता है.वह अपने मृदु व्यवहार व सेवा से घर के लोगो का दिल जीत लेता है. घर में पारिवारिक जीवन- मूल्यों को फिर से जगा देता है. इस दौरान कई नाटकीय  दृश्य उभरते है जो दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करते है. अंत में जया और उसके प्रेमी को मिलाने के लिए रघु (राजेश खन्ना )घर में चोरी का नाटक भी करता है. 

       ऋषिकेश मुखर्जी फ़िल्म में अंत तक अपनी पकड़ बनाये रखते है.शिक्षा प्रद विषय को भरपूर मनोरंजन, हास्य,नृत्यगीत के साथ प्रस्तुत करने की जो कला ऋषिकेश मुखर्जी में थी वो दुर्लभ है. इतनी पुरानी फ़िल्म की विषय वस्तु हमें आज ही की लगती है. 

       यह ऋषि दा का ही  सम्म्मान था की तब का सुपर स्टार एक ही ड्रेस में  पूरी फ़िल्म करने को राजी हो गया. राजेश खन्ना के अभिनय की कितनी  आलोचना होती है. लेकिन लोगों को बावर्ची और आनंद देखना चाहिए. राजेश के सहज़ अभिनय ने इन दोनों फिल्मों को अमर बना दिया. यह फ़िल्म यू ट्यूब पर उपलब्ध है. OTT के जमाने में  भी निशुल्क. इस क्लासिक का आनंद लीजिये.एक क्षण के लिए भी उबेंगे नहीं.

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com