1972 में एक फिल्म आई थी बावर्ची
यह ऋषि दा का ही सम्म्मान था की तब का सुपर स्टार एक ही ड्रेस में पूरी फ़िल्म करने को राजी हो गया. राजेश खन्ना के अभिनय की कितनी आलोचना होती है. लेकिन लोगों को बावर्ची और आनंद देखना चाहिए.
1972 में आई थी बावर्ची
यह फ़िल्म तब की है जब आज जिनकी उम्र 62 वर्ष है वे तब 10 वर्ष के रहे होंगे. पारिवारिक पृष्ठ भूमि पर बनाई गई इस फ़िल्म की पटकथा व निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था. संगीत मदन मोहन का था,उन्होंने मन्नादा के कई मधुर गीतों की कंपोजिशन दी.
ऋषिकेश मुखर्जी ने इस फ़िल्म को एक बँगले में ही फिल्माया है.इस फ़िल्म के हीरो है राजेश खन्ना, अभिनेत्री के नाम पर तब की नई हीरोइन जया भादुरी है. हालांकि इसमें जया व राजेश खन्ना के रोल भाई बहन जैसे है. जया का रोमांस किसी अनाम से एक्टर से दिखाया गया है.कैरेक्टर एक्टर में ए के हंगल और असरानी, पेंटल प्रमुख है. घर के मुखिया का रोल हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय ने निभाया है. पूरी फ़िल्म में राजेश खन्ना जैसे रोमांटिक एक्टर ने खाकी कमीज, खाकी हाफपेंट और सफ़ेद टोपी पहन कर घरेलू नौकर के रूप में अपना किरदार निभाया है.
कहानी की शुरुआत अमिताभ बच्चन की दमदार आवाज़ में की गई कमेंट्री से होती है जिसमे वे शांति निकेतन नामक घर में रहने वाले पात्रों का परिचय करवाते है.शांति निकेतन नाम का ही शांति था. यहॉं के रहवासी एक दूसरे को नीचा दिखाने,षड़यंत्र करने और घर के मुखिया की दौलत पर नजरें गड़ाये रह रहे थे. घर के मुखिया के पास एक संन्दूक होता है जिसमे सोना चांदी भरा होता है. मुखिया घर की बहुओं से चिढ़ता है, जो घर का काम नही करती है .अपने लड़को को वह जोरू का गुलाम कह फटकारता रहता है. घर के काम को लेकर एक अकेली बिन माँ बाप की लड़की जिसका रोल जया भादुरी ने किया है पिसती रहती है.
यह ऋषि दा का ही सम्म्मान था की तब का सुपर स्टार एक ही ड्रेस में पूरी फ़िल्म करने को राजी हो गया. राजेश खन्ना के अभिनय की कितनी आलोचना होती है. लेकिन लोगों को बावर्ची और आनंद देखना चाहिए. राजेश के सहज़ अभिनय ने इन दोनों फिल्मों को अमर बना दिया. यह फ़िल्म यू ट्यूब पर उपलब्ध है. OTT के जमाने में भी निशुल्क. इस क्लासिक का आनंद लीजिये.एक क्षण के लिए भी उबेंगे नहीं.
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