कलेक्टर ने किसान संगठन के साथ बैठक की
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने जिले के किसान संगठनों के साथ नेनो डीएपी खाद, नेनो युरिया, जैविक खेती और किसानों की आवश्यकताओं के बारे में विस्तृत चर्चा की.
कलेक्टर ने कृषि अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों को नेनो डीएपी और नेनो युरिया के प्रयोग के बारे में अधिक से अधिक जागरूक किया जाये। किसानों की जागरूकता के लिये बनाये गये वीडियोज भी सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किये जायें। किसान पाठशाला का आयोजन भी समय-समय पर किया जाये। क्लस्टर बनाकर नेनो युरिया और नेनो डीएपी के उपयोग से फसल उगाकर नेनो युरिया व नेनो डीएपी के उपयोग करने का तरीका और उनके फायदे का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाये। इसके पश्चात इनकी सक्सेस स्टोरिज प्रसारित की जाये।
कम लागत में अधिक फायदा किसानों से Nano Urea का उपयोग करने की अपील
जिले के किसानों को अब नेनो यूरिया इफको संस्था के द्वारा उपलब्ध करा दिया गया। इफको नेनो यूरिया फसलों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान कर मिट्टी को अधिक उपजाऊ व फसल को गुणवत्तापूर्ण बनाने से सहायक है। इफको नेनो यूरिया तरल का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल, सस्ता व अधिक लाभ प्रदान करने वाला है। नेनो तकनीक से उत्पादित यूरिया में एक दाना यूरिया को 55000 नेनो यूरिया के दानों में विभाजित कर दिया जाता है।
अपने अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नेनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों के जिन भागों को नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ये कण वहाँ पहुंचकर संतुलित मात्रा में उपयोगी पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
फसलों को नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए यूरिया की जरूरत होती है, लेकिन फसल में दिये गये पारंम्परिक यूरिया के माध्यम से नाइट्रोजन का केवल 30-40 प्रतिशत ही फसलों को मिल पाता है, जबकि 60-70 प्रतिशत नाइट्रोजन वाष्पीकरण, रिसाव व मिट्टी स्थिरीकरण द्वारा बर्बाद हो जाता है।
मिट्टी, वायु एवं जल को प्रदूषित करता है। इफको नेनो यूरिया किसानों को तरल पदार्थ के रूप में उपलब्ध होगा जिसे पत्तियों पर छिड़काव के द्वारा उपयोग किया जाता है। नेनो यूरिया तरल जो कि आधा लीटर की बोतल में होगा, आधा लीटर बोतल में 40000 पीपीएम नाइट्रोजन है। खास बात यह है कि इसकी क्षमता एक 45 किलो के पारंपरिक यूरिया के बराबर या इससे अधिक ही होगी।
एक आधा लीटर (500 मिली) बोतल एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है। इसका पहला छिड़काव बोआई या रोपाई के 25-35 दिन पर और दूसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह पहले कर सकते हैं। नाइट्रोजन की कम जरूरत वाली फसलों में दो एम.एल ओर अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता वाली फसलों में चार एम.एल प्रति लीटर पानी की दर से नेनो यूरिया का उपयोग करना है।
पारम्परिक यूरिया के उपयोग के बड़े नुकसान
पांरपरिक यूरिया के अंधाधुध उपयोग के दुष्परिणाम खेती, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ पर अब स्पष्ट दिख रहें है, देश के किसानों को स्वदेशी उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी आधारित तरल नेनो यूरिया के रूप में अदभूत विकल्प मिला है जो की बहुत लाभकारी है। अधिक जानकारी के लिए किसान भाई क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय या संबंधित क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है ।