टमाटर,  भिंडी तो बिल्कुल ना खाए  और दूध का उपयोग भी कम से कम  कीजिए - एक बुजुर्ग किसान की सलाह

अब आप कह  रहे हो दूध नहीं पीना चाहिए  गाँव  गाँव  में नकली  दूध  बन  रहा  है . सब्जियां नहीं खाना चाहिए.  अनाजों के भंडारण में बड़ी मात्रा में कीटनाशक का उपयोग होता है तो फिर करे  क्या ?

May 29, 2024 - 19:34
Sep 6, 2024 - 23:08
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टमाटर,  भिंडी तो बिल्कुल ना खाए  और दूध का उपयोग भी कम से कम   कीजिए -  एक  बुजुर्ग  किसान  की  सलाह

                   कल एक एम आर आई  (mri )   सेण्टर  के बाहर वेटिंग में बैठा था .बगल में एक किसान बैठे थे उनकी उम्र पूछी  तो बताया 78 साल का हूं . वह अपने स्नायु रोगों की जांच के लिए एमआरआई करने आए थे .उनका कहना था कि उनके  हर्निया के दो  ऑपरेशन हो चुके हैं और उसके बाद अब हाथों पैरों में झनझनाहट रहती है और दर्द होता है . .चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि वे नित्य 6 से 8 किलोमीटर घूमते हैं और इस उम्र में भी  खेतों पर काम करते रहते हैं .खेतीहर समाज से होने के कारण घर नहीं बैठते हैं .उनका कहना था कि उनके पिताजी 102 वर्ष की आयु पूरी करके अभी पिछले अप्रैल माह  ही  गए  है .

      सहज  जिज्ञासा शांत करने के लिए उनसे पूछा कि वह किन-किन चीजों की खेती करते हैं , किस तरह की सब्जियां उगाते हैं . उन्होंने कहा टमाटर, आलू ,भिंडी लौकी ,पालक,  मेथी आदि सभी तरह की सब्जियां उनके द्वारा खेतों में उगाई जाती है. मटर के समय में भरपूर मटर की पैदावार होती है .मैंने प्रश्न किया कि जब आप स्वयं अपनी फसल उगाते हैं और दिन रात मेहनत करके हरी सब्जियों का सेवन करते हैं तो फिर इस तरह की बीमारी आपके शरीर में  कैसे  प्रवेश कर गई .दो-दो हर्निया के ऑपरेशन और स्नायु तंत्र कमजोरी शुगर और बीपी साथ में .इतनी सारी बीमारियों के साथ कैसे  गुजर हो रही है . उन्होंने पलटकर  जवाब दिया कि जबसे   देश  में पेस्टीसाइड का प्रवेश हुआ है ,  बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी दुकान भारत में जमाई है तब से कीटनाशकों का उपयोग भरपूर मात्रा में फसलों में हो रहा है .

       उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आपको एक राय दे रहा हूं   टमाटर,  भिंडी तो बिल्कुल ना खाए  और दूध का उपयोग भी कम से कम हो  कीजिए. एक किसान  जो  खुद  उत्पादक  है की  सलाह पर चौंक  गया .मैंने कहा यदि सब इस तरह सब्जी- भाजी खाना बंद कर देंगे तो किसानों का क्या होगा .उन्होंने कहा  मैं   78 साल का हो गया हूं  लेकिन एक बोझ ,  एक पाप  साथ  लेकर जाऊंगा जब भी मेरी मृत्यु होगी .  हम किसानों ने  फसलों में इतना पेस्टिसाइड डाला  की लोग आज गांव में भी बड़ी संख्या में कैंसर से मर रहे हैं .कीटनाशक दवाएं हमारे  भोजन में  घुस  गई   है . वे  यहीं  नहीं रुके उन्होंने कहा जितने तरबूज और खरबूज आप आजकल गर्मी में खा रहे हो यह सब कीटनाशकों के बड़े स्टोरेज हैं . हर तीसरे दिन इनमें जहर का छिड़काव होता है और यह जहर आप शौक से अपने शरीर में डाल रहे हैं. 

 

          पूछा कि इसका उपाय क्या है ?  अब आप कह  रहे हो दूध नहीं पीना चाहिए  गाँवगाँव  में नकली  दूध  बन  रहा  है . सब्जियां नहीं खाना चाहिए.  अनाजों के भंडारण में बड़ी मात्रा में कीटनाशक का उपयोग होता है तो फिर करे  क्या .उन्होंने कहा कि एक ही उपाय है हर घर में एक छोटी बगिया  हो जहां पर जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर अपनी ज़रूरतें की सब्जियां उगाई जाए. अनाज तो  उगाना   हर किसी के बस का नहीं है .पर कम से कम सब्जी से जाने वाले कीटनाशकों को तो  शरीर में जाने से रोका ही जा सकता है .जहां तक दूध का सवाल है उनका कहना था कोऑपरेटिव डेरी के दूध में कम मात्रा में मिलावट पाई जाती है ,मिलावट तो हर जगह है लेकिन वहां पर उसकी मात्रा कम होती है , इस दूध का उपयोग किया जा सकता है.  

 

        मैंने कहा इतनी बड़ी ज्ञान की बात आप कर रहे हैं  तो  आप अपने परिवार में,  अपने गांव में कितना लोगों को समझा  पा रहे हैं .पाटीदार जी ने कहा कि सब के सब अंधी दौड़ में लगे हैं , पैसा कमाना लक्ष्य है . इस पैसे कमाने में ना तो अपना न ही अपनों का कोई ध्यान रख रहा है . सब जहर पी रहे हैं.  आने वाले समय में कितने लोगों को इसका नुकसान होगा ?  हमारी आने वाली पीढ़ी इसको भुगतेगी . हमारा जीवन तो अब समाप्त होने को है लेकिन कोई सीख लेने को तैयार नहीं है .हर आदमी क्रांतिकारी अपने घर के पास में चाहता है घर में नहीं . पर  क्रांति तो लाना ही होगी कैसे लाई जाती है यह आने वाला समय ही बताएगा .उक्त कृषक ने  आंखें खोल देने वाली बात कही .लेकिन हम फिर भी आंख मूंद कर दूध पी रहे हैं ,सब्जियों को  खा  रहे हैं , कार्बाइड से पके हुए फलों को अपने घर में जगह दे रहे हैं यह सोचकर कि हमारी सेहत ठीक होगी. 

    बरबस  इस चर्चा के दौरान ख्याल आया कि हमारे पहाड़ों के ग्लेशियर पिघल रहे हैं ,जंगलों में आग लगी है और मैदानों की तरफ सूर्यनारायण की  वक्र  दृष्टि  है . मानवता  पर   चौतरफा  हमला  हो  रहा  है .  लालच में  , विकास  की अंधी  दौड़ में  हवा , पानी ,  खाद्य  पदार्थ सब  दूषित  कर दिए गए है . क्या   सृष्टि  का अंत   निकट  है  ? 

 

प्रमुख  सिंथेटिक कीटनाशकों का  नुकसान

 

ऑर्गनोफॉस्फेट organophosphate

 ये कीटनाशक हैं जो तंत्रिका तंत्र को निशाना बनाते हैं। उनमें से कई को विषाक्त आकस्मिक जोखिम के कारण प्रतिबंधित या प्रतिबंधित कर दिया गया है।

कार्बामेट्स Corbomates  

 इस प्रकार का कीटनाशक ऑर्गनोफॉस्फेट की तरह ही तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, लेकिन कम विषैला होता है, क्योंकि प्रभाव अधिक तेज़ी से ख़त्म हो जाता है।

पायरेथ्रोइड्स  Pyrethrocytes

ये तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं और एक प्राकृतिक कीटनाशक का प्रयोगशाला-निर्मित संस्करण हैं जो गुलदाउदी में पाया जाता है।

ऑर्गेनोक्लोरीन Organochlorene

 इन कीटनाशकों, जिनमें डाइक्लोरोडिफेनिलट्राइक्लोरोइथेन (डीडीटी) शामिल हैं, को पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव के कारण बड़े पैमाने पर  प्रतिबंधित कर दिया गया है।

नियोनिकोटिनोइड्स 

इस प्रकार के कीटनाशक का उपयोग पत्तियों और पेड़ों पर किया जाता है और वर्तमान में मधुमक्खियों को अनपेक्षित नुकसान की रिपोर्ट के लिए पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) द्वारा इसकी जांच की जा रही है।

ग्लाइफोसेट. 

राउंडअप नामक उत्पाद के रूप में भी जाना जाने वाला यह शाकनाशी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की खेती में महत्वपूर्ण हो गया. इसके भी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव  देखे  जाते है. (  courtecy ; healthonline )

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com