यह पतंग का मौसम है दो पहिया वाहन के आगे छोटे बच्चों को न बैठायें
2021 में जीरो पॉइंट ब्रिज की घटना लोग भूले नहीं होंगे जहां एक दस वर्षीय बालिका का का गला डोर से कट गया और सड़क पर ही खून के फव्वारे फूट पड़े ,लडकी की स्पॉट पर ही मृत्यु हो गई .

जनवरी का महिना आ रहा है यह पतंग का मौसम है . हर साल दो पहिया वाहन के आगे बैठे छोटे बच्चों की जान पर बनती है . गत 14 जन 2024 को धार में हुई की घटना को ले -ले जहां एक 6 साल के बच्चे कनिष्ठ चोहान का गला कट गया और अस्पताल ले जाते -ले जाते उसकी मौत हो गई .इसी तरह हैदराबाद में एक सैनिक अपनी मोटरसाइकिल से घर जा रहा था और रास्ते में डोर का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो गया , उज्जैन में पतंग लूटने गये लड़के की मृत्यु हो गई .
उज्जैन में ही 2021 में जीरो पॉइंट ब्रिज की घटना लोग भूले नहीं होंगे जहां एक दस वर्षीय बालिका का का गला डोर से कट गया और सड़क पर ही खून के फव्वारे फूट पड़े ,लडकी की स्पॉट पर ही मृत्यु हो गई . जनवरी महीने की एक तारीख को लोग यह संकल्प लें कि छोटे बच्चों को स्कूटर मोटर साइकिल पर आगे नहीं बैठाएंगे .
आम आदमी क्या करें
आम आदमी को अपने गले की चिंता खुद करना होगी .संक्रांति के 10 दिन पहले और 10 दिन बाद तक वह दो पहिया वाहनों को चलाने से परहेज करें .दो पहिया वाहनों से चलना है तो अपने छोटे बच्चों की जान की रक्षा के लिए उनको आगे ना बैठाये . गले में पर्याप्त मफलर और कपड़ा लपेटकर जाए .सर पर हेलमेट लगाकर निकले जैकेट वगैरा पहनकर निकले जिससे कि शरीर को क्षति न हो । राजस्थान , गुजरात के कुछ क्षेत्रों में दो पहिया वाहन चालकों के लिए आगे हेंडलबार पर एरियल की तरह स्टील की छड़े खड़ी कर दी जाती है जिससे की चाइना डोर सीधे उनसे अटक जाए चलने पर वाहन चालक पर कोई नुकसान ना हो. इस तरह की स्थानीय डिवाइस का आविष्कार कर उसका भी उपयोग करके बचा जा सकता है। कुछ लोग देशी जुगाड़ भी कर रहे हैं .
एक अच्छे नागरिक होने के नाते हम स्वयं ही चाइना डोर के उपयोग करने से परहेज करें . जो उपयोग कर रहा है उसकी शिकायत गोपनीय रूप से पुलिस को करें. बेचने वालों की सूचना प्रशाशन को दें, इस तरह के कार्य करके हम समाज का भला कर सकते हैं किसी की जान बचा सकते है । त्योहारों पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए हमें ही पहल करना होगा .क्योंकि बड़ा वर्ग त्यौहार मनाने की मस्ती में मगन होकर इसकी लाभ हानि के बारे में कुछ सोचता नहीं है । पतंग उड़ाने के पहले एक बार सोचे कि हम किस डोर को हाथ में ले रहे हैं। सरकारों को भी चाइना डोर के उदगम पर चोट करना होगी तभी निर्दोष लोगो की जान बचेगी
क्या है चाइना डोर
नायलॉन और सिंथेटिक धागे से बनी हुई मजबूत डोर है जो पतंग उड़ाने के लिए काम में ली जा रही है .इस डोर के ऊपर पिसे कांच का मुलम्मा चढ़ा कर इसे और धारदार बनाया जाता है जिससे पतंग के पेच लड़ाते समय सामने वाले की पतंग काटना आसान हो जाए। भारत में बनी हुई कॉटन की डोर से पतंग उड़ाने वाले अब पीछे हटने लगे हैं. क्योंकि उनकी पतंग चुटकियों में चाइना डोर वाले काट देते हैं . अब चाइना डोर से चाइना डोर के पेंच लड़ाये जा रहे हैं और इसमें और अधिक कांच की धार चढाई जा रही है जिससे कि चाइना डोर को काटने में तीखी चाइना डोर काम आ सके।
चाइना डोर पर प्रतिबंध कब से है
चाइना डोर से कटने के मामले 2002 से सामने आने लगे .लेकिन घटना को नजअंदाज किया जाने लगा और रस्मी तौर पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी होने लगे. पर्यावरण के नुकसान और आम आदमी के जीवन पर संकट को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 जनवरी 2017 से चाइना डोर पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इस प्रतिबंध का कड़ाई से पालन करने के निर्देश भी पुलिस को दिए हैं । विभिन्न प्रदेशों की सरकारे भी इस दिशा में सक्रिय हो गई है और अपने-अपने स्तर पर इस प्रतिबंध का पालन करवाने में लगी है ।
मकर संक्रांति आने के एक माह पहले से ही प्रत्येक जिले के जिला कलेक्टर धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर देते हैं लेकिन इनका कड़ाई से पालन होता नहीं है। प्रतिबंध का पालन करने का कार्य पुलिस का है और पुलिस का अमला इतना व्यापक है नहीं कि वह चुपके-चुपके होने वाले चाइना डोर के उत्पादन और विक्रय पर प्रतिबंध लगा सके, या उड़ाने वालों को नजर रख सके। हालांकि अब दूरबीन से या अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके पुलिस इसको पकड़ने में लगी है .लेकिन तू डाल-डाल में पात पात की तर्ज पर तस्करी करने वाले और पतंग उड़ाने वाले पुलिस को धता बताते रहते हैं।
कैसे करें नियंत्रण
हम इतने खुदगर्ज हो गए हैं कि जब तक हम पर नहीं बीतती हम दूसरे की पीड़ा को नहीं समझते हैं .हम उत्पीड़न में मजा लेने वाले लोग हैं। क्षणिक काटा है का मजा लेने के लिए खराब से खराब डोर का उपयोग करने से संकोच नहीं करते हैं . इसका नतीजा है की पतंग कटने के बाद दूर यहां -वहां घूमती रहती है और पता नहीं कितने लोगों का गला काटती है ।
समाज आत्म नियंत्रण भी कैसे करें .हमारी सामाजिक व्यवस्था इतनी स्वार्थी , बिखरी और विखंडित है कि हम वही लोग हैं जो अपने हित के लिए मिलावट करने से नहीं चूकते . मिलावट चाहे दूध में हो या घी में या अन्य खाद्य पदार्थों में जी भर के मिलावट करते हैं । हम धन कमाने के लिए ड्रग्स की तस्करी करते हैं, ड्रग्स बेचते हैं अवैध शराब पिला कर जान ले लेते है , चंद रुपयों के लिए । सरकार के भरोसे , सिस्टम के भरोसे कैसे इन सब विकट परिस्थितियों से निपटा जाए . अनियमितता के अंतिम छोर पर कोई न कोई सरकार से जुडा व्यक्ति ही निकलता है जो बाद में बच निकलता है .
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