केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देस
राग मांड Mand में गाया जाने वाला यह लोकगीत Folk song राजस्थान Rajsthan की शौर्य गाथा को समर्पित है . राजस्थान , मध्यप्रदेश और गुजरात के कठियावाड़ kathiyavad क्षेत्र की शादियों का प्रमुख गीत . इसके बिना शादियाँ अधूरी .

राजस्थान Rajsthan के रणबांकुरों के शोर्यगाथा और थार मरुस्थल की ढोला मारू Dhola maru की प्रेम कहानी इस लोक गीत folk song के माध्यम से प्रकट हुई है. आज भी यह लोकगीत राजस्थान की लोक परंपरा पहचान बना हुआ है . न केवल राजस्थान बल्कि गुजरात मालवा और हिंदी भाषा कई प्रदेशों में आयोजित होने वाले विवाह और अन्य उत्सव में इस गीत को गाने की परंपरा बन गई है.
राजस्थान की प्रसिद्ध लोक गायिका अल्लाह जिलाई Allah jilai bai बाई द्वारा रचित यह गीत राजस्थान ही नहीं बल्कि गुजरात के काठियावाड व मध्यप्रदेश के हर क्षेत्र मे लोकप्रिय है. अल्लाह जिलाई बाई ठुमरी ,दादरा व खयाल शैलियों में श्रेष्ठ गायिका थी जिन्हें 1982 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था अल्लाह जिलाई बाई द्वारा रचित केसरिया बालमा kesariya balma गीत में प्रथम बंद के अलावा - मारू थारे देश में निपुंजे तीन रतन एक ढोलो , दूजी मारवल तीजो कसूमल रंग "में उन्होंने राजस्थान के तीन रतन का वर्णन किया है. जिसने ढोला मारू वाली प्रेमकाथा के राजकुमार ढोला उनकी प्रेमिका मारवन और तीसरे रतन के रूप में केसरिया रंग को रखा है जो की राजस्थान के शौर्य व पराक्रम का प्रतीक है. लोकगीत का नायक कहीं दूर है , घर पर उसकी प्रेमिका उसका बेसब्री से इंतजार कर रही है. अगले पद में इसी विरह को दर्शाते हुए प्रेयसी कहती है कि प्रिय तुम आते तो "केसर सू पगला धोवती भले पधारो जी और बधाई कांई करु पल-पल वारु जी, पधारो म्हारे देश....."
राजस्थान के अधिकांश लोकगीतों के में राग मांड उपयोग होता है. यह राग सुनने में बहुत सरल है किंतु गाने बजाने की दृष्टिकोण से काफी जटिल है. राग मांड में कई फिल्मी गीत रचे गए हैं . जिनमें प्रमुख रेशमा और शेरा फ़िल्म का गीत '' तू चंदा में चांदनी " लेकिन फिल्म में ' केसरिया बालम ' और अभिमान फ़िल्म में ' अब तो है तुमसे हर खुशी ' जैसे कालजयी गीत शामिल है. मांड गायन 500 वर्ष पुरानी शैली है और बताया जाता है कि इसकी शुरुआत कोई आठवीं सदी से हुई है.
राग मांड की बारीकियां चाहे राजस्थान के घर घर में बसे लोकगायक न समझते हो पर पारंपरिक साज रावण हत्थे के साथ इस गीत की धुन ज़ब छेड़ते है तो कलेजा चीर देते है. यह महारथ राजस्थान के लोकगायको को जन्म से ही हासिल हो जाती है. कई प्रसिद्ध शास्त्रीय गायको ने इस गीत को आजमाया है. इसी गीत को बॉलीवुड के बड़े-बड़े सिंगर ने भी गाकर स्वयं को धन्य समझा है. पाकिस्तानी लोक गायिका रेशमा, फरीद अयाज व अबू मोहम्मद. राजस्थान के लोक गायक Mame Khan और Morari Bapu की सभा में भजन व गीत गाने वाले Osman Mir ने भी इसमें चार चांद लगाए हैं उस्मान मीर की लरजती आवाज में - केसरिया बालम पधारो म्हारे देस , काजल लागे किरकिरी सुरमा सहा न जाय , जिन नैना में म्हारो पीहू बसें दूजो कौन समाय . ओजी.. केसरिया बालमा आओ नी ...
पधारो म्हारे देश.
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