केसरिया  बालम  आओ नी पधारो म्हारे  देस

    राग मांड Mand में  गाया  जाने वाला  यह लोकगीत Folk song राजस्थान Rajsthan की  शौर्य गाथा को समर्पित है . राजस्थान , मध्यप्रदेश और गुजरात के कठियावाड़ kathiyavad क्षेत्र की शादियों का प्रमुख गीत . इसके बिना शादियाँ अधूरी .

Dec 11, 2023 - 04:39
Mar 21, 2024 - 04:11
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 केसरिया  बालम   आओ नी पधारो म्हारे  देस

 

           मित्र के पुत्र का विवाह का प्रसंग था . ग्रामीण क्षेत्र से आया बेंड पिछले तीन  दिनों से बेसुरा और ऊंची आवाज में  गायन कर संगीत को  बेमजा कर रहा था. शाम दूल्हे की वर निकासी  के लिए घोड़ी सज धज कर तैयार थी . हम सभी सभी मित्र प्रोसेशन  में निकलने के लिए तैयार होकर पहुंचे थे . बैंड के वायलिन वादक ने  केसरिया बालमा पधारो म्हारे देश की धुन छेड़ . गायक ने भी  सुर मिलाया .  राग  मांड  में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह  की  दरबारी गायिका अल्लाह जिलाई बाई द्वारा 1910  के आसपास रचित इस गीत की  लहरियो ने बरबस ध्यान खींच लिया. पिछले दो-तीन दिनों  के बेसुरे गायन को इस  मांड शैली के लोक  गीत ने बांध लिया.  बैंड की लाउड  आवाज और मांड  जैसे कठिन राग में  निबद्ध इस गीत  की प्रस्तुति को निभाने में बैंड के गायक ने भी  जान लगा दी. केसरिया बालमा गीत के बोल व संगीत की रचना ही कुछ ऐसी है कि  होले होले दिल  से  होकर  यह गीत  रूह में उतरने लगता हैं. इस लोकगीत की मूल रचना अल्लाह  जिलाई बाई ने की थी लेकिन विभिन्न गायको ने अपनी-अपनी शैली में गायन के लिए अपनी ओर से कुछ बंद जोड़ कर  इस गीत को समृद्ध  किया है.

  

              राजस्थान Rajsthan  के  रणबांकुरों के  शोर्यगाथा और थार मरुस्थल की ढोला मारू  Dhola maru की  प्रेम कहानी इस लोक  गीत folk song   के माध्यम से प्रकट हुई है. आज भी यह  लोकगीत  राजस्थान  की लोक परंपरा  पहचान बना हुआ है . न  केवल राजस्थान बल्कि गुजरात मालवा और हिंदी भाषा कई प्रदेशों में आयोजित  होने वाले  विवाह और अन्य उत्सव में इस गीत को  गाने की परंपरा बन गई है.

 

          राजस्थान की प्रसिद्ध लोक गायिका अल्लाह जिलाई   Allah jilai bai बाई  द्वारा रचित यह गीत राजस्थान ही नहीं बल्कि  गुजरात के काठियावाड व मध्यप्रदेश  के  हर क्षेत्र  मे लोकप्रिय है. अल्लाह जिलाई  बाई ठुमरी ,दादरा  व खयाल शैलियों में  श्रेष्ठ गायिका  थी जिन्हें 1982 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था अल्लाह  जिलाई  बाई  द्वारा रचित  केसरिया बालमा kesariya balma   गीत में प्रथम बंद के अलावा - मारू थारे देश में निपुंजे तीन रतन  एक ढोलो , दूजी  मारवल  तीजो कसूमल रंग "में उन्होंने राजस्थान के तीन रतन का वर्णन किया है. जिसने ढोला मारू वाली प्रेमकाथा के राजकुमार ढोला उनकी प्रेमिका मारवन और  तीसरे रतन के रूप में केसरिया रंग को रखा है जो की राजस्थान के  शौर्य व पराक्रम का प्रतीक है. लोकगीत का नायक कहीं  दूर  है , घर पर उसकी प्रेमिका उसका बेसब्री से  इंतजार कर रही है. अगले पद में  इसी विरह को दर्शाते  हुए प्रेयसी  कहती है कि प्रिय तुम आते तो  "केसर सू  पगला धोवती भले पधारो जी  और बधाई  कांई करु पल-पल वारु जी, पधारो म्हारे देश....."

 

                          राजस्थान के  अधिकांश लोकगीतों के  में राग मांड  उपयोग होता है.  यह राग सुनने में बहुत सरल है किंतु गाने बजाने की दृष्टिकोण से काफी जटिल है.  राग मांड में कई फिल्मी गीत रचे गए हैं . जिनमें प्रमुख रेशमा और शेरा  फ़िल्म का गीत '' तू चंदा में चांदनी "  लेकिन फिल्म में ' केसरिया बालम ' और  भिमान फ़िल्म में  ' अब तो है तुमसे हर खुशी '  जैसे कालजयी  गीत शामिल है.  मांड गायन 500 वर्ष पुरानी शैली है और बताया जाता है कि इसकी शुरुआत कोई आठवीं सदी से हुई है.

 

            राग मांड  की बारीकियां चाहे राजस्थान के  घर घर में बसे लोकगायक न  समझते हो  पर पारंपरिक साज  रावण हत्थे के साथ इस गीत  की धुन ज़ब  छेड़ते है तो कलेजा  चीर देते  है.  यह  महारथ  राजस्थान के  लोकगायको को जन्म से ही हासिल हो जाती है.   कई प्रसिद्ध   शास्त्रीय गायको ने इस गीत को आजमाया है. इसी गीत को बॉलीवुड के बड़े-बड़े सिंगर ने भी गाकर स्वयं को धन्य समझा  है. पाकिस्तानी लोक  गायिका रेशमा, फरीद अयाज व अबू मोहम्मद. राजस्थान के लोक गायक Mame Khan   और  Morari Bapu की सभा में  भजन      गीत गाने वाले Osman Mir  ने भी इसमें चार चांद लगाए हैं  उस्मान मीर की लरजती आवाज में  -  केसरिया बालम  पधारो म्हारे  देस  काजल लागे किरकिरी सुरमा सहा न  जाय , जिन नैना में म्हारो पीहू बसें  दूजो कौन समाय . ओजी..  केसरिया बालमा आओ नी ...

                                                               पधारो म्हारे देश.

                                                 सुनते समय  सुनने वाले के रोंगटे खड़े हो जाते हैँ.      फिल्म लेकिन में गुलजार ने इस लोकगीत में कुछ नए पद लिखे हैं .  ह्रदयनाथ मंगेशकर  के संगीत में लता मंगेशकर ने इस गीत को अपनी आवाज से सजाया है.  केसरिया बालम गीत सुनने का एक अलग ही अनुभव है . इस लोक गीत को सुनने का आनंद प्राप्त करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है.   यू  ट्यूब , गाना डॉट कॉम  या स्पोर्टफाई  एप पर जाकर कीवर्ड  Kesariya balma टाइप करें राजस्थानी लोक संगीत का खजाना  आपके सामने खुल जायेगा. बस एक क्लीक करने की जरूरत है.

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com