Genral Election 24 को निकट देख किसान संगठनों ने एमएसपी पर कानून बनवाने की मांग मनवाने के लिए आंदोलन छोड़ दिया है । पंजाब और हरियाणा से किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हो रहे हैं । शंभू बॉर्डर पर पुलिस द्वारा किसानों को रोकने के प्रयास में किसानों से हुई झडप में आंसू गैस के गोले छोड़ने की घटनाएं आज दिन भर से हो रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा निरंतर किसान नेताओं के संपर्क में है । सरकार कुछ न कुछ हल , समाधान निकालने के प्रयास में है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे Rahul Gandhi ने यात्रा मार्ग से ही किसानों को समर्थन देने की घोषणा करते हुए ट्वीट किया है और कहा है कि किसानों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है । उन्होने कहा कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों के लिए MSP पर कानून बनाएगी ।
उधर केंद्र सरकार का कहना है कि 2020 में ही एमएसपी पर कानून बनाने के लिए एक समिति गठित की गई थी किंतु किसान नेताओं द्वारा इसका बाय काट किया गया . इस कारण से मामला आगे नहीं बढ़ा ।
भाजपा की केंद्र सरकार का मानना है कि यह मूवमेंट राजनीतिक हेतु के लिए किया जा रहा है ना कि किसानों के भले के लिए । सरकार का कहना है एमएसपी में जितनी बढ़ोतरी भाजपा सरकार ने 2014 से लेकर अब तक की है उतनी किसी ने नहीं की है। जानकारों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP का निर्धारण CACP द्वारा किया जाता है । एमएसपी की लीगल गारंटी की बात करें तो किसी भी तरह की लीगल गारंटी एक पेपर से ज्यादा कुछ नहीं होती है ।इसको लागू करना अत्यधिक कठिन होता है। पहले ही रोजगार गारंटी और खाद्य सुरक्षा गारंटी जैसे कानून का हश्र लोग देख ही चुके हैं। जानने वाली बात है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP केवल गेहूं Wheat और धान Paddy पर ही काम करता है । जबकि सरकार द्वारा 24 फसलों पर एमएसपी की घोषणा की जाती है । शासन द्वारा केवल गेहूं व धान का ही उपार्जन Procurment किया जाता है और इस कारण से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रभावी रूप से इन्हीं पर काम करता है।
क्या है किसानो की मांगे
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसान संगठनों ने अपने मांग की लिस्ट बढ़ा दी है ।किसानो की प्रमुख 12 मांगे है । जिनमे एमएससी पर कानून बनाया जाए, किसान मजदूरों का कर्ज माफ किया जाए , लखमीपुर खीरी कांड के आरोपी को सजा मिले ,भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में बदलाव किया जाए , किसान व मजदूरों को पेंशन दी जाए। विश्व व्यापार संगठन से दूरी बनाई जाए ,फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को प्रतिबंधित कर दिया जाए ,दिल्ली आंदोलन में मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा व उनके परिजनों को नौकरी दी जाए ।एक साल में 200 दिन की रोजगार गारंटी दी जाए ।विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को खत्म कर दिया जाए। कंपनियों को आदिवासी व किसानों की जमीन पर कब्जा करने से रोका जाए और खराब पेस्टिसाइड में उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाए । किसानों की जितनी भी मांगे हैं उनको यदि जस की तस मान ली जाए तो सारी अर्थव्यवस्था व्यवस्था ध्वस्त होने में देर नही लगेगी । सरकार को टकराव से बचने के लिए संगठनो से चर्चा चला कर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए । किसान संगठनों को भी यह समझना चाहिए कि एमएसपी पर कानून बन भी जाएगा तो किसानों का कोई बड़ा हित होने वाला नहीं है । राजनीति चमकाने वाले अवसरवादी राजनीतिकों को भी देशहित में सोचकर अराजकता से बचना चाहिए ।वहीं दूसरी ओर शासन को भी बल प्रयोग से बच कर तरकीब से किसानों से बातचीत चलाना चाहिए तो ही इस समस्या का कोई हल निकलेगा अन्यथा आने वाले दिनों में और आंदोलन हिंसक भी हो सकता है ।
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