Turtle festival at Velas , Year end at konkan Region , Sunday travel story

Morning  में नींद खुली घर के बाहर निकले तो देखा प्रकृति का खजाना सामने है .घर के सामने Coconut trees , Areca palm सुपारी के पेड़ , तरह-तरह की क्यारियों में नर्सरी के लिए उगाये  विभिन्न पौधे और कुछ कुछ Paddy के खेत नजर आ रहे थे

Mar 17, 2024 - 10:09
Mar 17, 2024 - 10:23
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Turtle  festival  at  Velas ,  Year end  at konkan  Region , Sunday travel story

कोंकण तट महाराष्ट्र पर ईयर एन्ड

velas  , kelshi 

        दिसंबर का महीना था तारीख रही होगी 29 दिसंबर  . मित्रों ने तय किया नया साल समुद्र किनारे मनाया जाए। विकल्पों पर विचार हुआ । फिर निर्णय हुआ कि महाराष्ट्र के कोंकण तट पर जाया जाए । एक मित्र उसी इलाके के रहने वाले थे । उन से चर्चा की और निर्णय हुआ कि कोंकण तट पर बसे हुए श्रीवर्धन चलें । वँहा जाने का एक आकर्षण यह भी था कि श्रीवर्धन के निकट ही एक ऐसा गांव था जहां पर हर साल Turtle festival  मनाया जाता है ।

 

   Velas

            गांव में  Beach पर Migrant Turtles  अपने अंडे रेत में छुपा कर चले जाते हैं और समय आने पर अंडों से New born turtles निकल  कर एक साथ हजारों की संख्या में समुद्र की ओर भागते हैं । बस यही देखने लोग Konkan के सुदूर तट के छोटे से गांव  Velas में एकत्रित होते हैं । यहां की पंचायत ने धीरे-धीरे इस Festival  को  World wide  फैला दिया है .  इस  सम्बन्ध  में You Tube  पर काफी सामग्री मिल जाती है । छोटे से गांव में  Foreign Tourist  को देखकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे । लोग परवाह नही करते कि यहां पर कोई विशेष सुविधा है या नहीं । न हो तो भी लोग यहां आने के लिए उतने ही तैयार रहते हैं जितने की कि बड़े Hill station पर जाने के लिए .

        संयोग से चंद्रमोहन जी उस समय velas  में ही प्रवास कर रहे थे । इस कारण से अंततः कोंकण जाना हुआ । मित्र जिनमें श्री अनिल , श्री मनोहर व श्री सत्येंद्र् शामिल थे 30 दिसंबर की रात में Indore  से निजी वाहन लेकर निकल पड़े ।  बाकी तीनों को खा-पी कर के लम्बी तान के सोना था सो आगे की सीट हमेशा की तरह मुझे ऑफर हुई .  रात भर  Mumbai पहुंचने तक वाहन चालक के साथ रतजगा किया. बीच-बीच में कई बार खुद चाय पी ड्राइवर को पिलाई. जैसे तैसे सुबह 6:00 बजे Kalyan  पहुंचे . कल्याण से  Shreevardhan  जाने के लिए Panvel  वाला रास्ता पकड़ना था . इस हिसाब से पूरे मुंबई को क्रॉस करके दूसरे किनारे जाना था . बिना  Google maps  की मेहरबानी के महानगर को पार करना कठिन था . मोबाइल की बैटरी बैठ रही थी फिर भी जैसे तैसे मुंबई के बाहर निकले . सुबह उठकर वडापाव का नाश्ता किया और पनवेल से होकर कोकण का रास्ता पकड़ लिया. रात भर की थकान, जागरण था और रास्ता निर्माणाधीन था , कुछ कठिन सा लग रहा था . जैसे तैसे दोपहर 2:00 बजे तक श्रीवर्धन पहुंचे . पता लगा आराम नहीं करना है खाना खाकर रात में वेलाश पहुंचना है . इसी बीच चंद्र मोहन जी ने अपनी मौसी के घर ले जाकर श्रीवर्धन में  Konkani food का लंच  करवाया . रास्ते में बताया कि वेलाश के लिए 25 किलोमीटर का रास्ता  Steamer se तय करना है और दूसरे किनारे जाकर भी 15 किलोमीटर चलना है , तब जाकर वेलाश पहुंचेंगे . पहाड़ी रास्ते में वाहन की गति कम होती है पहुंचते-पहुंचते रात हो गई . दिसंबर का महीना था रात उतर आई थी . थकान के मारे लग रहा था कैसे जल्दी बिस्तर पर पहुंचे और नींद लगे लेकिन नींद अभी और दूर थी जितना दूर वेलास था . एक बात थी दिसम्बर में जितनी ठण्ड उत्तर में होती है उतनी तटीय क्षेत्रो में नही होती है हमारे ठण्ड के कपडे भार लग रहे थे . रात करीब 8:00 बजे वेलाश पहुंचे .जहां चंद्र मोहन जी ने हमारे रुकने की व्यवस्था की थी वह परंपरागत घर था और पता लगा कि उस घर में केवल पुरुषों का राज है खाना हमें ही बनाना था . दुबले और दो आषाढ़ , ठीक है सफर में यह सब चीजें चलती ही है . सभी मित्रों ने मिलकर फटाफट खाना बनाया खाया और सो गए.

प्रकृति का खजाना सामने

        Morning  में नींद खुली घर के बाहर निकले तो देखा प्रकृति का खजाना सामने है .घर के सामने नारियल के पेड़ , सुपारी के पेड़ , तरह-तरह की क्यारियों में नर्सरी के लिए उगाये  विभिन्न पौधे और कुछ कुछ धान के खेत नजर आ रहे हैं . जहां ठहरे थे वह घर पहाड़ काट कर बनाया घर था . यंहा घर एक ही तरह के बनाए जाते हैं बाहर दालान होता है अंदर एक दो कमरे और पीछे शौचालय की व्यवस्था .चंद्र मोहन जी के तीन भतीजे वेलाश में ही रहते हैं और तीनों घर आए मेहमानों की सेवा में ह्रदय से जुड़ गए . सुबह-सुबह घर से नीचे उतरे , चार कदम की दूरी पर ही C0conut  के पेड़ झूम रहे थे . सीजन भी था दुबला पतला भंतिया तीर की तरह नारियल के पेड़ पर चढ़ गया . हंसिये se काट कर 10 नारियल गिरा दिए . चारों मित्रों ने Fresh coconut  water   का स्वाद चखा जो हमारे यहां मिलने वाले नारियल से कुछ हटकर था .

     

     पहले दिन के सफर की थकान अभी बकाया थी . लेकिन हम यहां आए तो घूमने ही थे . सुबह नाश्ता करके आसपास का समुद्री किनारा यहां के लोगों के , वहां Hapus  आम के बगीचे , खेती के तरीके देखने के लिए ह निकल पड़े . रास्ते में बंटीया के भाई जहां पर काम करके खेती का समतलीकरण कर रहे थे वह भी देखा और पहाड़ चढ़कर नीचे उतरकर समुद्र तट पर पहुंच गए . यहां हमारे लिए एक छोटी नाव तैयार थी . हम अपने साथ गैस स्टोव , खाने पीने का सामान वगैरह लेकर आए थे . सब्जी स्थानीय स्तर से लेकर के गए थे . सोचा था जंगल में भोजन बनाकर खाया जाए . श्रीवर्धन से वेलाश और आसपास के कई गांव जिनमें Kelsi  गांव भी शामिल है को कनेक्ट करने के लिए अभी तक ब्रिज नहीं बना है .

   हम लोग सपाट किनारे से छोटी सी नाव द्वारा रेतीले तट की ओर पहुंचे . यहां पर रेत का विस्तार विशाल था . जमीन तक पहुंचने में वजन उठाकर मित्रों की जान निकल गई . कभी घर में छोटी सी लकड़ी भी नहीं उठाने वाले ठाकुर साहब सिर पर छोटा गैस सिलेंडर उठा रहे थे . लकड़ी का मोल भाव कर रहे थे रेती में एक स्थानीय महिला से लकड़ी मोलभाव करके खरीदी गई और निकल पड़े खेत की ओर . वेलाश गांव के ही एक परिचित मित्र के खेत पर पहुंचे . समुद्र किनारे मीठे पानी का कुआं था जहां पर नारियल के पेड़ और स्थानीय तुर की खेती लगी थी . समुद्र किनारे खाना बनाने का उपक्रम किया .

हमारे सामिष मित्र आधे अधूरे मन से आलू मटर की सब्जी और बाटी सेकने में लग गए . अब कोई दरबार आलू की सब्जी बनाएं तो उसमें आधा किलो तेल , 100 ग्राम लहसुन, 50 ग्राम जावित्री पढ़ना तो लाजमी है . उसके साथ शर्त यह भी खाते-खाते पच्चीस बार सब्जी की तारीफ भी करना है . बड़ी मुसीबत थी .

 Kelshi village  और  बीच  पर कबड्डी

       मन में kelshi  गांव देखने की इच्छा थी . फिर कब आएंगे यह सोचकर गाड़ी हमने दूसरी दिशा में मोड़ दी . मुंबई के सुदूर तट पर स्थित गांव कैसे होंगे इसकी कल्पना आप उत्तर भारत में बैठकर नहीं कर सकते . श्रीवर्धन और यहां की दूरी लगभग 100 किलोमीटर होगी . सारा किराना, सब्जी और अन्य आवश्यक वस्तुएं संकरे रास्ते से छोटे-छोटे लोडिंग वाहनों से भरकर यहां पहुंचती है. चाय की दुकान भी मुश्किल से मिली नाश्ते के नाम पर वडापाव के अलावा नजर नहीं आया . गांव में 1 -2 मिष्ठान की दुकान दिखी . केल्शी में समुंदर का बीच बहुत अच्छा है और पास में गणेश जी का मंदिर भी है . हम सब लोग मंदिर  गए . मंदिर में कथा चल रही थी , लोगों ने बताया मुंबई से यहां पर पार्टी आई है जो परंपरागत  Ganpati  वंदना एवं भगवत कथा करती है . पुराने समय की Harmonium   जिसकी धमन पांव से चलती है देखने को मिली . हारमोनियम पर भजन गाते परंपरागत महाराष्ट्रीयन सफेद टोपी लगाए मुख्य पंडित और गायक मण्डली गांव के लोग भक्ति भाव से भजन करते नजर आएं . गणेश जी के अद्भुत दर्शन हुए . मराठी में भक्ति गीत सुनने को मिले, निश्चित रूप से हमारी सारी थकान दूर हो चुकी थी . हम लोग बीच की ओर चल दिए . केल्शी गांव निश्चित रूप से महाराष्ट्र का एक परंपरागत सिग्नेचर गाँव है . बीच पर घने नारियल के पेड़ , उतरती हुई शाम में मित्रों का मन मचल उठा और कबड्डी का आयोजन कर लिया गया . जब तक तीन चार बार गिरे नहीं मन नहीं भरा .उम्र दराज मित्रो की  कबड्डी ,हड्डी टूटने कि चेतावनी पर बंद हुई और वापस लौट पड़े वेलाश की ओर .

    अगले  दिन  Velas   के    टर्टल  फेस्टिवल  का  अद्भुद  नजारा  देखा  . सेंकडो  की तादाद  में  नवजात  कछुए  अन्डो  से निकल  कर अपना  नया  जीवन  शुरू  करने  समुद्र  की  ओर  भाग  रहे  थे   .  लोगो  की भीड़  इस नजारे  को देखकर  मुग्ध  थी . नए साल की महाराष्ट्र कोंकण क्षेत्र की यह यात्रा जीवन में सदैव याद रहेगी .कोंकण क्षेत्र एक बार जरूर देखना चाहिए .

How to reach 

By  Road - mumbai-  goa  route  shrivardhan is  250 km from mumbai . there is no train route .

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com