Today Politics has ruined sensitive Bengal संवेदनशील  बंगाल  को  राजनीति  ने  आज  कहाँ  पंहुचा दिया

Sandeshkhali  में  महिलाओं पर हुए  अत्याचार ने  मध्यकाल  की  याद दिला दी. कभी Indian renaissance  काल  बंगाल  में ही घटित हुआ। Raja Rammohan Roy ....  Rabindra nath Tagore  , जैसे व्यक्तियों ने नई दिशा दी

Mar 29, 2024 - 05:17
Mar 30, 2024 - 17:34
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Today  Politics has ruined sensitive  Bengal  संवेदनशील  बंगाल  को  राजनीति  ने  आज  कहाँ  पंहुचा दिया

           संवेदनशील  बंगाल  को  राजनीति  ने  आज  कहाँ  पंहुचा दिया

 

     आज के संदर्भ में यदि हम  West bengal  की  राजनीतिक  परिस्थितियों के बारे में सोचें   तो पाते है कि जैसे  उग्रता पूर्ण संघर्ष आज  वहां हो रहे हैं उतने शायद कश्मीर को छोड़कर भारत के किसी भूभाग पर नहीं हो रहे होंगे ।  Sandeshkhali  में  महिलाओं पर हुए  अत्याचार ने  मध्यकाल  की  याद दिला दी .  लंबे समय तक बंगाल में साम्यवादी सरकार रही जिन्होंने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए जिस तरह से चीन में  Communist  अपना शासन चला रहे हैं कुछ उसी तरह का ढांचा यहां विकसित किया  और अपने विरोधियों को ठिकाने  लगाकर 30 वर्षो  अधिक   शासन  किया ।

 

       Mamata Banerjee  लम्बे  संघर्ष के बाद  सत्ता पर काबिज हुई .  बाद  के समय में लगा था कि बंगाल में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा । लेकिन वह  अब दिख नहीं रहा है । वे भी साम्यवादी तोर तरीकों से  सत्ता बचाए हुए है ,  वर्ग संघर्ष के साथ साथ फिरकापरस्ती भी शिखर पर है । सत्ता संघर्ष के नीचे दबी बंगाल की जनता आर्थिक विकास  को लेकर परेशान होगी वहां के लोग कितने कुंठित होंगे इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। विगत दिनों एक नेचरोपैथी सेंटर में  बंगाली भद्र पुरुष  के साथ दस दिन रहा ।उनके मुंह से सुनकर बंगाल की जमीनी हकीकत का पता लगा । मेरे मन में संजोकर रखे गए बंगाल और बांग्ला  साहित्य  की भाव प्रवणता पर आघात पंहुचा । 

 बांग्ला साहित्य और आज का बंगाल

      साहित्य में रुचि रखने वाले उत्तर भारतीय छात्रों को बांग्ला साहित्यकारों की हिंदी में अनुवाद की हुई साहित्यिक रचनाओं का  पाठ करने का अनुभव हुआ ही होगा । मेरे जैसे छात्र ने भी एक समय में शरद चंद्र , विमल मित्र  ,महाश्वेता  देवी जैसे महान साहित्यकारों का साहित्य पढ़ा । विमल मित्र के उपन्यास तब साप्ताहिक  हिंदुस्तान में श्री  मनोहर श्याम जोशी धारावाहिक रूप से प्रकाशित किया करते थे और कुछ इस तरह का साहित्य  धर्मयुग में भी निरंतर पढ़ने को मिलता था । दूरदर्शन ने बाद में शरतचंद्र और अन्य बंगला साहित्यकारों के उपन्यासों पर धारावाहिक निर्मित किये और वे  लोकप्रिय भी  हुए.

 

      बांग्ला में लिखे हुए साहित्य को पढ़ने में  एक बात तो तय  थी ही कि ये  संवेदनाओं से भरे उपन्यास हुआ करते थे ।लेखक उसमें ऐसा भावपूर्ण चित्रण करते थे कि पढ़ने वाले की जान ही निकल जाए।  कुछ ऐसा ही अनुभव  बाउल गायकों  और रविंद्र संगीत को सुनने पर होता है चाहे आपको बांग्ला भाषा आती हो या ना आती हो । बंगाली लोक संगीत आपको गंगा नदी के निर्मल जल की तरह बहा ले जाता है।

 

      Indian renaissance  काल  बंगाल  में ही घटित हुआ। Raja Rammohan Roy , Ishvarchand vidyasagar, Aurobindo Ghosh ,  Rabindra nath Tagore  , जैसे व्यक्तियों ने इस देश के समाज को, शिक्षा को एक नई दिशा दी। सती प्रथा ,विधवा विवाह न करने देने   जैसी कुरीतियों  को रोकने के लिए सबसे पहली आवाज बंगाल से ही उठी।

 

   साहित्यिक बंगाल को सुनना समझना एक अलग वस्तु है जबकि राजनीतिक रूप से बंगाल के बारे में विचार करना  अलग । वर्ष 1757 में रॉबर्ट क्लाइव ने जब बंगाल (तब के बंगाल में  अविभाजित बंगाल , बिहार और उड़ीसा  शामिल था )  फतह किया   और नवाब सिराजुद्दोला को हराया तो उसमें एक किरदार  सामने आया मीरजाफर । जो बाद में जयचंद के साथ संयोजित हो गया। अंग्रेजों के प्रादुर्भाव ने सबसे पहले हिंदुस्तान में जमीदारी  प्रथा बंगाल में ही शुरू की ।  जमीदारों के अत्याचारों के तले वर्षों तक भारत की आबादी रही और उनके शोषण का शिकार होती रही । अंग्रजो की शिक्षा नीति से  बंगाल में ही  पहलीबार  भारत के  शिक्षित मध्य वर्ग का उदय हुआ । कालांतर में  शोषण के  विरुद्ध समय-समय पर राजनीतिक चेतना जागृत हुई । मध्य वर्ग में  क्रांतिकारी लेखन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, अरविंद घोष  आदि ने किया ।  निश्चित रूप से यह पुनर्जागरण  एक मील का पत्थर साबित हुआ।

       बंगाली सिनेमा सत्यजीत राय , श्याम बेनेगल , बंगाल के गीत कारो  ,बंगाल के संगीतकारों शास्त्रीय गायकों के अलावा  फ़िल्म संगीत में  हम सचिन देव बर्मन और भप्पी लाहिरी को सुनते है ।  एस डी बर्मन ने  अपने गीतों में लोकधुनों का खूब उपयोग किया और उनके गीत अमर हो गए ।  भप्पी दा के भावपूर्ण गीत अपने पराये जैसी फिल्मों में सुनने को मिलते है ।  वर्तमान परिस्थितियों में भद्र बंगाली  समाज  अपने भविष्य का कैसा आकलन कर रहा होगा यह सोच का विषय है । भद्र लोक से आ रही हिंसा की  सूचनाएं  संवेदनशील व्यक्ति को  दुखी कर देती है। यह सर्वविदित है कि स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल का असीम  योगदान रहा है

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Harishankar Sharma State Level Accredited Journalist राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , 31 वर्षों का कमिटेड पत्रकारिता का अनुभव . सतत समाचार, रिपोर्ट ,आलेख , कॉलम व साहित्यिक लेखन . सकारात्मक एवं उदेश्य्पूर्ण पत्रकारिता के लिए न्यूज़ पोर्टल "www. apni-baat.com " 5 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ . संपर्क apnibaat61@gmail.com "Harishankar sharma " state leval acridiated journalist residing at ujjain mp. .working since 31 years in journalism field . expert in interviews story , novel, poems and script writing . six books runing on Amazon kindle . Editor* news portal* www.apni-baat.com