अपराधियों के जीवन से हमें इतना लगाव क्यों है? Mukhtar Ansari , Atiq ahamad की Love story और Crime life को रस लेकर दिखाया जाता है
माफिया Don को Robin hood और मसीहा बनाकर प्रस्तुत करने वाले Media को अपने अंदर भी झांकना चाहिए , TRP के चक्कर में इस तरह के कंटेंट से क्या वे Youth को अपराधी बनने की प्रेरणा दे रहे हैं .
बांदा के जेल में कुख्यात गैंगस्टर और Don Mukhtar Ansari की मृत्यु हो गई . 62 साल के इस अपराधी के जीवन को लेकर मीडिया ने जितनी सामग्री परोसी है शायद उतनी किसी साहित्यकार, राजनेता या समाज सेवी की मृत्यु पर भी नहीं देखी जाती .मुख्तार अंसारी के जीवन का कोई पहलू नहीं छोड़ा जिसको प्रिंट, सोशल व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने हाईलाइट नहीं किया हो. कुछ चैनल तो मुख्तार अंसारी के गांव में जाकर तब तक डेरा जमाये रहे जब तक कि वह सुपुर्दे खाक नहीं हो गया . यंहा तक बता दिया की उसका लड़का मिटटी देते समय मूछों पर ताव दे रहा था .
मुख्तार अंसारी की मृत्यु मीडिया के लिए लिए TRP बढ़ाने का सुअवसर लेकर आई .इस प्रतिस्पर्धा में यह लोग भूल गए कि वे किसका महिमा मंडन कर रहे हैं . मुख़्तार समाजसेवी या मसीहा नहीं एक Hardcore Criminal था ।
गरीबों को जरूरत के समय पर जो भी सहायता दे देता है वे उसके अनुगामी हो जाते हैं . व्यक्ति कहां से पैसा लेकर आ रहा है इस पर वे ध्यान नही देते . एक तरह यह कमी हमारे प्रशासन तंत्र की है कि गरीब की मदद सरकारी महकमे से कम होती है और इस तरह के गुंडे बदमाशो से ज्यादा होती है . वही बदमाश बाद में उस इलाके के न्यायाधीश बन जाते हैं । मुख्तार अंसारी का इस तरह से महिमा मंडन करना उसके कुकर्मों पर पर्दा डालने जैसा है .
होना तो चाहिए था कि उसके जितने भी अपराध है , जितनी भी हत्या की है उनके बारे में विस्तार से विवरण दिया जाता और राजनीति से उसके घालमेल की कहानी, किस्से बताए जाते . लोगों को समझ में आता है कि कौन पार्टी , कौन नेता कितने पानी में है. लेकिन मीडिया ने तो अपनी टी आर पी के लिए मुख्तार को मसीहा बना डाला.
Up के वर्तमान Cm Yogi Aditynath का 2007 में आजमगढ़ में उन पर हुए हमले के बाद संसद में दिया गया बयान आज भी याद आता है . उन पर घात लगाकर हुए हमले को लेकर व्यथित और विवश होने की गवाही उनके आंसू दे रहे थे। तब Up में Mayavati की सरकार थी और हमले को नाकाम करने वाले Sp को Suspend कर दिया गया था .
प्रश्न हमारे सामाजिक सोच में पीछे छूट रहे मूल्यों का है , दायित्व का है .जिन मूल्यों की रक्षा करने के लिए चौथा स्तंभ बना था आज वही चौथा स्तंभ अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की Love story दिखा रहा है । वह दिन दूर नहीं जब OTT प्लेटफार्म या किसी फिल्म मेकर को इनकी कहानी में रुचि हो जाये और महिमा मंडित करने के लिए तीन घंटे की मूवी बनकर आ जाए . Producer कोई इन्ही बाहुबलियों में से हो तो बड़ी बात नहीं।
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