मेरा नाम Mukhtar है , क्यों छुपाऊं ? Raskhan की परम्परा का एक मुख़्तार मथुरा में है Ghazwa –e- Hind को मानने वाला एक Mukhtar गाजीपुर में था
अकबर के समकालीन मध्यकाल के मुस्लिम कृष्णभक्त Raskhan की तरह कृष्ण भक्ति में रंगा मुख़्तार भक्ति भाव से मुझे लेकर गोकुल की ओर चल दिया
गोकुल - मथुरा के कण कण में कृष्ण लीला बसी है
अकबर के समकालीन मध्यकाल के मुस्लिम कृष्णभक्त Raskhan की तरह कृष्ण भक्ति में रंगा मुख़्तार भक्ति भाव से मुझे लेकर गोकुल की ओर चल दिया । रास्ते में मथुरा और गोकुल दोनों के बारे में विस्तार से बताते हुए वह फूला नहीं समा रहा था । मेरे द्वारा किए जाने वाले साफ- सफाई व स्वच्छता के प्रश्नों का जवाब उसने अपने शहर की प्रतिष्ठा के चलते रक्षात्मक लहजे में दिया . कोई खास बात नहीं है यहाँ सब कुछ अच्छा है । मथुरा से गोकुल के बीच के रास्ते में डिफेंस कॉलोनी से गुजरते हुए कुछ अच्छा अनुभव हुआ जैसे-जैसे गोकुल की ओर बढ़ने लगे मन में वर्तमान दुर्दशा पर दुख हुआ ।
रास्ते में सड़क के बीच-बीच के हिस्सों में स्टोन लगे हुए थे इसके कारण रिक्शा में बहुत ही ज्यादा धचके के लग रहे थे हाजिर जवाब मुख़्तार ने कहा किसी दिन योगी महाराज इस सड़क से गुजरेंगे सड़क चकाचक हो जाएगी।
पुराणों में बसा मथुरा और गोकुल कहीं नजर नहीं आ रहा था
जीवन का लंबा समय गुजर गया लेकिन मथुरा जाने का कभी अवसर नहीं मिला। इस बार जब दिल्ली गया तो सोचा कि मथुरा होकर वापस जाया जाए। सुबह 9:00 बजे पहुंच कर मथुरा के होटल में चेकइन कर लिया और दोपहर में ई- रिक्शा करके पहले गोकुल की ओर चल पड़ा। पुराणों में जो गोकुल के बारे मे पढा व गीता प्रेस की पुस्तकों में जो चित्रांकन देखा था उसके विपरीत यहां का अनुभव था। यमुना नदी पूरे दिल्ली की गंदगी समेटे यहाँ से बहती है । नदी के किनारे खड़ा रहना मुश्किल है .
Mukhtar ne कच्चे रास्ते से होकर Yamuna kinare खुली जगह पर रिक्शा रोक दिया .सामने के घर से पंडित जी निकल कर आए उन्होंने तुरंत यहां के धर्म स्थलों की लिस्ट और अपनी रेट लिस्ट सुना दी और कहा चलिए मेरे साथ , बिना मेरे साथ गये जगह समझ नहीं आएगी . उन्होंने जितने भी धर्म स्थलों के नाम गिनाये थे वे आसपास ही थे . कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं को दीवार पर छोटे-छोटे चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है .
नन्द भवन के बाहर बंसीवट बताया गया , एक बंसीवट वृन्दावन में भी है . नन्द भवन के बाहर दुकानों पर लस्सी ,नाश्ता और चाय की दुकान पर झूठी पत्तलों को चाटते कुत्ते , कुल्हड़ो का ढेर और आसपास पसरी गंदगी ने मन को दुखी कर दिया ।
बचपन में घरों में पढ़ी जाने वाली Shrimadbhagvat और विभिन्न धर्म स्थलों पर आयोजित होने भागवत पुराणों में कृष्ण की बाल लीलाओं के किस्से मोहक व आकर्षक ढंग से सुनाये जाते थे . कथाकार द्वारा जैसा चित्रण मथुरा गोकुल का किया जाता है उतना सुंदर प्रत्यक्ष में यहां पर नहीं पाते है .
उत्तर प्रदेश में 8 वर्षों से Yogi Adityanath की सरकार है वह कई बार Mathura आते - जाते रहते हैं क्या उनसे गोकुल वह मथुरा की स्वच्छता और धर्मस्थलों की स्थिति छुपी होगी . Hemamalini भी यंहा से MP है .
UP के बनारस में Kashi Vishvnath Corridor व Mp के Ujjain में Mahakaleshvar Temple के आसपास Mahakal lok बन सकता है तो क्या Gokul में कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित विशाल परिसर निर्मित नहीं किया जा सकता . यहां पर देश- विदेश से आने वाले धार्मिक लोगो की आस्था जुड़ी है । एक दूसरे धर्म के रिक्शा चालक में जिस तरह से योगी जी के बारे में सकारात्मक बातें की और उनके प्रति विश्वास जताया इससे हमें भी यह विश्वास करना चाहिए कि आने वाले समय में गोकुल के धार्मिक स्थल व कृष्ण की बाल लीलाओं का आकर्षक ढंग से प्रस्तुतीकरण किया जाएगा . आसपास स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
गोकुल से लौटकर मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भक्तो की भारी भीड़ के बीच दर्शन करना पड़े क्योंकि होली उत्सव के कारण यहां पर अपार भीड़ थी .बाद में कृष्ण जन्मभूमि पर भी इसी तरह की भीड़ के बीच दर्शन करने का सौभाग्य मिला. वापस की यात्रा में मन में केवल एक ही बात उठती रही की Lord Krishna से जुडा यह पवित्र धार्मिक स्थल आज भी अपने विकास की बाट जोह रहा है.
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